उन्होंने बताया कि आतंकियों ने करीब 45 मिनट तक नाम पूछ-पूछकर लोगों को मारा। वो कहते थे, तुम्हारी सरकार से कहो, हम पति को पत्नी के सामने मारेंगे, लेकिन तुम्हें नहीं मारेंगे। ऐशन्या की बहन ने बताया कि वो मदद के लिए गिड़गिड़ाती रहीं, पर किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया।
शुभम के पिता की आंखों से बहते आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। बोले, बेटे का सिर बहू के ऊपर गिरा था, आप कुछ कीजिए। राहुल ने शांत स्वर में कहा, मैं यह दर्द जानता हूं, मेरी दादी और पिता भी आतंकवाद के शिकार हुए। मैं प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शुभम को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग करूंगा। इस दौरान राहुल ने परिवार की बात प्रियंका गांधी से भी करवाई और वादा किया, जो दोषी हैं, वे चाहे जहां छुपे हों, सजा पाकर रहेंगे।
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