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सोने से पहले फोन चलाना क्यों है खतरनाक? रिसर्च ने खोला राज!

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आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में फोन हमारा साये की तरह साथ रहता है। सुबह की पहली किरण से लेकर रात के आखिरी पल तक, हमारी नजरें इस छोटी सी स्क्रीन पर टिकी रहती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि सोने से ठीक पहले फोन चलाने की यह आदत आपकी जिंदगी पर कितना भारी पड़ सकती है? हाल ही में हुई एक रिसर्च ने इस बारे में चौंकाने वाली बातें सामने लाई हैं। तो चलिए, इस आदत के पीछे छिपे खतरों को समझते हैं और जानते हैं कि इससे कैसे निजात पाई जा सकती है।

नींद का दुश्मन बन रहा है आपका फोन

रात को बिस्तर पर लेटे-लेटे इंस्टाग्राम स्क्रॉल करना या वॉट्सऐप मैसेज चेक करना भले ही मजेदार लगे, लेकिन यह आपकी नींद को चुपचाप बर्बाद कर रहा है। फोन की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आपके दिमाग को दिन का भ्रम देती है। इससे मेलाटोनिन नाम का हार्मोन, जो नींद लाने में मदद करता है, कम बनता है। नतीजा? आपको नींद आने में दिक्कत होती है, और अगर नींद आती भी है तो वह गहरी और सुकून भरी नहीं होती। अगली सुबह थकान, चिड़चिड़ापन और सुस्ती आपके दिन को मुश्किल बना देती है।

दिमाग पर पड़ रहा है भारी बोझ

सोने से पहले फोन पर न्यूज पढ़ना या सोशल मीडिया की पोस्ट देखना सिर्फ नींद ही नहीं, आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है। कोई परेशान करने वाली खबर या दोस्त का तनाव भरा मैसेज आपके दिमाग को उलझन में डाल सकता है। रात को यह तनाव चिंता में बदल जाता है, और लंबे समय तक ऐसा चलने से डिप्रेशन या एंग्जाइटी जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। सोचिए, क्या एक स्क्रॉल के चक्कर में अपनी मानसिक शांति खोना समझदारी है?

आंखें भी दे रही हैं चेतावनी

फोन की चमकती स्क्रीन आपकी आंखों की सेहत के लिए भी खतरा है। खासकर रात के अंधेरे में, जब नीली रोशनी सीधे आपकी आंखों पर पड़ती है, तो यह रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है। लगातार ऐसा करने से आंखों में थकान, सूखापन और दृष्टि से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती हैं। अगर आप पहले से चश्मा लगाते हैं, तो यह आदत आपकी मुश्किलें और बढ़ा सकती है। क्या आप चाहेंगे कि आपकी आंखों की रोशनी इस छोटी सी आदत की भेंट चढ़ जाए?

रिश्तों में बढ़ती जा रही है खामोशी

सोने से पहले फोन में खोए रहने का असर सिर्फ आप पर नहीं, आपके आसपास के लोगों पर भी पड़ता है। अपने पार्टनर या परिवार के साथ बिताने वाला कीमती समय फोन की स्क्रीन पर बर्बाद हो जाता है। बातचीत कम होती है, और धीरे-धीरे रिश्तों में एक अनकही दूरी पनपने लगती है। वर्चुअल दुनिया की चकाचौंध असल जिंदगी के रंग फीके कर देती है। क्या यह कीमत चुकाना वाकई जरूरी है?

इस आदत से छुटकारा कैसे पाएं?

अच्छी खबर यह है कि इस आदत को बदलना मुश्किल नहीं है, बस थोड़ी सी कोशिश चाहिए। सोने से पहले फोन को बेडरूम से बाहर रखें, ताकि लालच ही न हो। अगर फोन इस्तेमाल करना जरूरी हो, तो ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें। एक निश्चित समय पर सोने की रूटीन बनाएं और उससे पहले फोन को अलविदा कह दें। इसके बजाय, कोई हल्की-फुल्की किताब पढ़ें या कुछ देर शांत मन से मेडिटेशन करें। ये छोटे कदम आपकी सेहत को बड़ा फायदा पहुंचा सकते हैं।

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