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बिजली का बिल छोड़ लोग गायब! जानिए उत्तराखंड में कैसे हुआ ₹415 करोड़ का खेल

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उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में एक अजीबोगरीब समस्या ने बिजली विभाग को परेशान कर रखा है। करीब 1.27 लाख लोग, जिनके बिजली बिलों का बकाया 415.67 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, अचानक गायब हो गए हैं। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के अधिकारी इन उपभोक्ताओं को ढूंढने में दिन-रात एक किए हुए हैं, लेकिन नतीजा सिफर है।

कोई मकान बेचकर चला गया, तो कोई सालों से घर पर ताला डाले गायब है। कुछ जगहों पर तो बिजली का मीटर ही गायब है। आखिर ये लोग गए कहां? और इतना बड़ा बकाया कैसे जमा हुआ? चलिए, इस रहस्य की परतें खोलते हैं।

बकाये का बोझ, गायब उपभोक्ता

यूपीसीएल के लिए यह कोई नई समस्या नहीं है। बीते कुछ सालों में बिजली बिलों का बकाया और गायब उपभोक्ताओं की संख्या लगातार चर्चा में रही है। इन बकायेदारों को यूपीसीएल ने दो श्रेणियों में बांटा है - नॉन बिल्ड (एनबी) और स्टॉप बिल्ड (एसबी)। एनबी यानी वे उपभोक्ता जिनका बिल तो बन रहा है, लेकिन वे कहीं मिल नहीं रहे।

वहीं, एसबी में वे लोग हैं जिनका मीटर बंद हो चुका है, लेकिन पुराना बकाया अभी भी बरकरार है। 2019 में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 1.61 लाख थी, जो 2025 में घटकर 1.27 लाख पर आ गई। बकाया राशि भी कम नहीं, पूरे 415.67 करोड़ रुपये! लेकिन सवाल वही है - ये लोग हैं कहां?

अनोखे मामले, हैरान करने वाली सच्चाई

यूपीसीएल की पड़ताल में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जो सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। कई मोहल्लों में एक ही नाम से कई बिजली कनेक्शन पाए गए। ऐसा लगता है जैसे बिल बढ़ने पर पुराना मीटर खराब कर नया कनेक्शन ले लिया गया हो। कुछ जगहों पर तो मकान मालिक ने घर छोड़ दिया और किराएदार बिना बिल चुकाए गायब हो गए।

यूपीसीएल के एक अधिकारी ने बताया, "कई बार हम मकान पर पहुंचते हैं, तो वहां ताला लटका मिलता है। आसपास के लोग भी कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाते।" यह स्थिति न सिर्फ यूपीसीएल के लिए सिरदर्द है, बल्कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग भी इस पर गहरी चिंता जता चुका है।

नियामक आयोग की सख्ती

नियामक आयोग ने यूपीसीएल को इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। आयोग ने निर्देश दिए हैं कि हर तिमाही में कम से कम पांच प्रतिशत मामलों का निपटारा किया जाए। इसके लिए खंडवार अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। आयोग ने यह भी कहा है कि हर तिमाही की प्रगति रिपोर्ट उनके सामने पेश की जाए। यूपीसीएल की टीमें अब उन गायब उपभोक्ताओं को ढूंढने में जुटी हैं, लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं। कई बार पुराने रिकॉर्ड अधूरे होते हैं, तो कई बार उपभोक्ताओं का कोई सुराग ही नहीं मिलता।

क्या है इसका समाधान?

इस समस्या का हल निकालना इतना आसान नहीं। यूपीसीएल को न सिर्फ अपने सिस्टम को और पारदर्शी करना होगा, बल्कि पुराने रिकॉर्ड्स को भी दुरुस्त करना होगा। साथ ही, उपभोक्ताओं को जागरूक करने की जरूरत है कि वे समय पर बिल चुकाएं और कनेक्शन बंद करने से पहले औपचारिकताएं पूरी करें। अगर यह सिलसिला यूं ही चलता रहा, तो बकाया राशि का बोझ और बढ़ेगा, जो अंततः बिजली विभाग और आम उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा।

एक उम्मीद की किरण

हालांकि स्थिति जटिल है, लेकिन यूपीसीएल और नियामक आयोग के संयुक्त प्रयासों से कुछ सुधार दिख रहा है। गायब उपभोक्ताओं की संख्या में कमी आई है और बकाया राशि को नियंत्रित करने की कोशिशें जारी हैं। अगर यही रफ्तार रही, तो शायद आने वाले सालों में यह समस्या पूरी तरह हल हो जाए। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि न सिर्फ प्रशासन, बल्कि हम सभी उपभोक्ता भी अपनी जिम्मेदारी समझें। आखिर, बिजली हम सबकी जरूरत है, और इसका बिल चुकाना हम सबका फर्ज।

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