Next Story
Newszop

ट्रंप के टैरिफ का असर, क्या भारतीय आमों की मिठास पर पड़ेगा असर?

Send Push

भारतीय आम, जिन्हें दुनिया भर में उनकी मिठास और सुगंध के लिए जाना जाता है, अब एक नए सवाल के घेरे में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत सहित कई देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की है। क्या ये टैरिफ भारतीय आमों की अमेरिकी बाजार में चमक को फीका कर देंगे? आइए जानते हैं कि यह नीति भारतीय किसानों और आम प्रेमियों के लिए क्या मायने रखती है।

ट्रंप का टैरिफ: क्या है माजरा?

हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 26% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। यह कदम अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है। भारतीय आम, जो अमेरिका में अल्फांसो और केसर जैसे नामों से मशहूर हैं, इस नीति से प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ की वजह से आमों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए ये फल महंगे हो सकते हैं। लेकिन क्या यह भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा झटका है, या फिर कोई रास्ता निकल सकता है?

भारतीय आमों की अमेरिकी यात्रा

भारतीय आमों का अमेरिका में प्रवेश कोई आसान कहानी नहीं रहा। साल 2006 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच हुए “न्यूक्लियर मैंगो डील” ने भारतीय आमों के लिए अमेरिकी बाजार खोला था। तब से अल्फांसो, केसर और बंगनपल्ली जैसे आम अमेरिकी ग्राहकों के बीच पसंदीदा बन गए हैं। हर साल भारत से करीब 10 मिलियन डॉलर मूल्य के आम अमेरिका निर्यात किए जाते हैं। लेकिन नए टैरिफ की वजह से इन फलों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे उनकी मांग पर असर पड़ सकता है।

किसानों और निर्यातकों पर क्या होगा असर?

भारत में आम की खेती लाखों किसानों की आजीविका का आधार है, खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में। अगर अमेरिकी बाजार में भारतीय आमों की मांग कम होती है, तो इसका सीधा असर इन किसानों की आय पर पड़ सकता है। निर्यातक भी कीमतों को कम करने या नए बाजार तलाशने की चुनौती का सामना कर सकते हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास यूरोप, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख करने का मौका है। साथ ही, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों पर लगे ऊंचे टैरिफ भारत को अमेरिकी बाजार में थोड़ा लाभ दे सकते हैं।

उपभोक्ताओं के लिए क्या बदलेगा?

अमेरिका में भारतीय आमों के दीवाने अब इन फलों के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार रहें। टैरिफ की वजह से आमों की लागत बढ़ने से सुपरमार्केट में उनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं। खासकर भारतीय मूल के अमेरिकी, जो इन आमों की मिठास को अपने बचपन की यादों से जोड़ते हैं, शायद इस बदलाव को महसूस करें। लेकिन अच्छी खबर यह है कि भारतीय आमों की गुणवत्ता और स्वाद उन्हें बाजार में बनाए रख सकता है। निर्यातक अगर लागत को संतुलित करने के लिए रणनीति बनाएं, तो इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

भारत के लिए चुनौती या अवसर?

ट्रंप के टैरिफ को सिर्फ चुनौती के रूप में देखना ठीक नहीं होगा। यह भारत के लिए नए अवसर भी ला सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने और घरेलू मांग को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, सरकार और निर्यातक मिलकर अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को_discard (trade negotiations) को तेज कर सकते हैं, जिससे टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा可以 (reduced). यह समय भारत के लिए अपनी कृषि और निर्यात नीतियों को और मजबूत करने का भी है।

Loving Newspoint? Download the app now