नालंदा, बिहारशरीफ 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । नालंदा जिले के बिहारशरीफ शहर में स्थित बाबा मणिराम अखाड़े में एक बार फिर आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम दिखने लगा है। पंचाने नदी के तट पर स्थित इस ऐतिहासिक स्थल पर हर साल लंगोट अर्पण मेला का आयोजन होता है जो इस बार साल 2025 में 10 से 17 जुलाई तक बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा।जिले का पहला ऐसा मंदिर जहां 13 वर्षों से निरंतर अखंड ज्योति जल रही है प्रसाद में लंगोट का चढ़ावा होता है। यह मंदिर देश का संभवतः इकलौता ऐसा धार्मिक स्थल है जहां भक्त भगवान को लंगोट चढ़ाते हैं।
बताया जाता है कि बाबा मणिराम एक महान संत और पहलवान थे जिन्होंने शरीर और आत्मा की शुद्धता का संदेश देते हुए कुश्ती को अपने जीवन का माध्यम बनाया और उन्होंने 1238 ई. में अयोध्या से नालंदा आकर तपोस्थली के रूप में पिस्ता घाट को चुना और 1300 ईसवी में यहीं जीवित समाधि ले ली।संतबाबा की इसी पहचान को सम्मान देने के लिए भक्तजन उनकी समाधि पर लंगोट अर्पित करते हैं। वर्षों पुरानी इस परंपरा के अनुसार मेला की शुरुआत में सबसे पहला लंगोट जिला प्रशासन की ओर से चढ़ाया जाता है।
इस अवसर पर पुलिस बल के जवान शस्त्रों के साथ बाबा को सलामी देते हैं, जो इस धार्मिक आयोजन को और भी गरिमामय बना देता है।मेले में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मेले की समाप्ति पर पहली बार बनारस के पंडितों द्वारा गंगा आरती का आयोजन होगा। साथ ही बच्चों के लिए झूले, महिलाओं के लिए श्रृंगार की दुकानें और चाट-पकौड़ी के स्टॉल मेले की रौनक बढ़ गई है।इस संपूर्ण आयोजन की देखरेख अनुमंडलाधिकारी की अध्यक्षता वाली बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति करती है जो श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर हर वर्ष व्यापक इंतजाम करती है। बाबा के अखाड़े में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आकर आस्था की लंगोट चढ़ाते हैं और मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं। यह मेला न केवल नालंदा की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह भारत की अनूठी धार्मिक परंपराओं का प्रतीक भी है।
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(Udaipur Kiran) / प्रमोद पांडे
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