उदयपुर, 8 नवम्बर, 2024 — भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय में आज का दिन शैक्षणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा. विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद और रिसर्च बोर्ड की बैठक चैयरपर्सन प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई. इस बैठक में शिक्षा के गुणात्मक सुधार और शोध को नई ऊँचाई पर ले जाने की योजनाओं पर चर्चा की गई. यह बैठक न केवल शिक्षण के वर्तमान स्वरूप का मूल्यांकन करने का एक अवसर थी, बल्कि इसमें शिक्षा के भविष्य की दिशा भी निर्धारित हुई.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ तालमेल का संकल्पबैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के दृष्टिकोण से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के महत्व को जोर-शोर से रेखांकित किया गया. प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि “आज हमें अपने विद्यार्थियों को भारतीय मूल्यों और संस्कृति से जोड़े रखने के साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करना होगा.” उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को छात्रों को ऐसा माहौल देना चाहिए जो उन्हें न केवल अकादमिक उन्नति में सहायक हो, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी मददगार साबित हो. साथ ही, विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाने का आह्वान किया गया.
शिक्षण में तकनीकी नवाचार की अनिवार्यताइस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट डॉ. महेन्द्र सिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में शिक्षकों को तकनीकी नवाचारों के साथ अद्यतन रहने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षण में तकनीकी प्रविधियों का समावेश आज के समय की मांग है और विद्यार्थियों के लिए एक समृद्ध शिक्षण अनुभव प्रदान करने में मददगार साबित हो सकता है. “आज हमें तकनीक और शिक्षा के तालमेल को समझना होगा, ताकि विद्यार्थियों को बदलते समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में सहायता मिल सके,” डॉ. राठौड़ ने कहा.
ऑनलाइन पाठ्यक्रमों से छात्रों को जोड़ने का प्रयासकुल सचिव डॉ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने विद्यार्थियों को विभिन्न ऑनलाइन पाठ्यक्रमों से जोड़ने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि “ऑनलाइन पाठ्यक्रम आज के युग की आवश्यकता हैं और इनसे विद्यार्थियों को नए कौशल सीखने का अवसर मिलेगा.” इन पाठ्यक्रमों से छात्रों को वैश्विक ज्ञान से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जिससे उनके व्यक्तित्व विकास में व्यापक बदलाव आ सकता है.
रिसर्च बोर्ड बैठक में गुणवत्तापूर्ण शोध पर जोरबैठक से पूर्व विश्वविद्यालय रिसर्च बोर्ड की बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें शोध कार्य की गुणवत्ता और उसकी सामाजिक उपादेयता पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया. बोर्ड ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंडों के अनुरूप नए शोध पाठ्यक्रम का अनुमोदन किया और गुणवत्तापूर्ण तथा नैतिक शोध को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया. पी जी डीन स्टडीज डॉ. प्रेम सिंह रावलोत द्वारा समन्वित इस बैठक में विभिन्न संकायों के अधिष्ठातागण, परीक्षा नियंत्रक और विभागाध्यक्ष भी शामिल रहे.
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