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अन्त्योदय से ही पूर्ण समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है : राज्यपाल आचार्य देवव्रत

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—गुजरात के राज्यपाल राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए, गुरुकुल प्रणाली पर चर्चा

वाराणसी, 02 अक्टूबर . गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बुधवार को कहा कि अन्त्योदय से ही पूर्ण समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. राज्यपाल महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर अन्तर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केन्द्र, बी.एच.यू. और गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आत्मनिर्भर भारत के साथ विश्व कल्याण तक का सपना देखा. गांव की समृद्धि के बिना देश की समृद्धि नहीं हो सकती है. इसीलिए कुटीर उद्योग व शिल्प की शिक्षा पर जोर दिया. उनके चिंतन में प्राकृतिक खेती व प्राकृतिक चिकित्सा की भी चिंतनधारा मिलती है जिससे आज पंचभूत (पंचतत्व) को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है. “महात्मा गांधी के शैक्षिक विचारों के आलोक में शांति और संधारणीय विकास” विषयक गोष्ठी में राज्यपाल ने गांधी जी के प्राकृतिक जीवन संकल्पना को अपनाते हुए गुरुकुल की क्रिया प्रणाली पर भी चर्चा की. केन्द्र के डीन, एकेडमिक एवं रिसर्च आशीष श्रीवास्तव ने विषय स्थापन किया. और कहा कि गांधी जी ने पर्यावरण, पृथ्वी संकट इत्यादि हर पक्ष पर अपना चिंतन व क्रियान्वयन किया. गोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पृथ्वीश नाग ने की. मुख्य वक्ता दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि विश्व में शांति के लिए दुनिया के हर कोने में शांति की स्थापना करने की आवश्यकता है. इसके लिए आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रही है, क्योंकि महात्मा गांधी और शास्त्री जी के विचारों से ही शांति की स्थापना संभव है. इस सत्र की अध्यक्षता केंद्र के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने किया. गोष्ठी के समापन सत्र में डीएवी कालेज वाराणसी के पूर्व आचार्य प्रो. दीनानाथ सिंह,गुजरात विश्वविद्यालय के प्रो. प्रेम आनंद मिश्र आदि ने भी विचार रखा. उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह, मंगलाचरण डॉ. सुनील कुमार त्रिपाठी, धन्यवाद ज्ञापन डॉ.राजा पाठक ने किया. वहीं, समापन सत्र में संचालन डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह, धन्यवाद ज्ञापन केंद्र के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने किया. कुल 05 विभिन्न सत्रों में संचालित हुए इस कार्यक्रम में 100 से ज्यादा प्रतिभागी उपस्थित रहे. शोधार्थियों ने 30 से ज्यादा शोध पत्र प्रस्तुत किए.

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/ श्रीधर त्रिपाठी

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