झज्जर, 18 अप्रैल . नागरिक अस्पताल बहादुरगढ़ का ट्रामा सेंटर इन दिनों चिकित्सीय सुविधाओं के लिए कम, मरीजों के साथ व्यवहार को लेकर ज्यादा सुर्खियों में है. यहां आए दिन किसी न किसी मरीज, तीमारदार को डाक्टरों के गुस्से व व्यवहार का शिकार होना पड़ता है. जब भी कोई स्वास्थ्य विभाग का उच्च अधिकारी निरीक्षण करने के लिए आता है तो सबसे पहले डाक्टरों व स्टाफ को मरीजों के साथ शालीनता पूर्व अच्छा व्यवहार करने की हिदायत देता है, मगर यहां इसका उल्टा होता है. कई बार डाक्टर, चुतुर्थ श्रेणी कर्मचारियो का व्यवहार भी मरीजों के प्रति ठीक नहीं रहता. उसी का परिणाम है कि लोग सरकारी अस्पताल में जाने से कतराने लगे हैं.
कुछ ऐसा ही एक मामला करीब 74 वर्षीय बुजुर्ग महिला अंगूरी देवी के साथ हुआ. वह शुक्रवार को अपने बेटे के साथ नागरिक अस्पताल में जांच के लिए गई थी, मगर गुड फ्राई डे की आरएच होने के कारण ओपीडी में डॉक्टर नहीं थे बल्कि इंटर्न स्टूडेंट के जरिए ओपीडी में जांच कार्य हो रहा था. ऐसे में जब अंगूरी देवी ट्रामा सेंटर में चिकित्सक से परामर्श लेने गई तो यहां एक डाक्टर का व्यवहार मरीज के प्रति बेहद रूखा रहा. डॉक्टर ने गुस्से व तेज आवाज में बात करते हुए कहा कि यहां किसने भेजा है, पीछे ओपीडी में दिखाओ. किसके कहने पर यहां आए हो. डॉक्टर ने मरीज को इस तरह के कई सवालों के जवाब देने के लिए बाध्य किया. डॉक्टर का व्यवहार देखकर कुछ देर के लिए बुजुर्ग महिला भी स्तब्ध रह गई. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर उनके मन में भी बहुत पीड़ा होने लगी. उन्होंने कहा डॉक्टर का मरीज के प्रति व्यवहार ठीक हो तो इलाज पूरा होने से पहले हर मरीज काफी हद तक ठीक हो जाता है. मगर यहां डॉक्टर की मरीज के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है, बल्कि उनका रूखा व्यवहार मरीजों की पीड़ा को अधिक बढ़ा देता है.
अंगूरी देवी ने बताया, हालांकि बाद में दूसरे डॉक्टर ने स्वयं अपनी सीट से उठकर उसकी जांच की. महिला के साथ आए उनके बेटे ने बताया कि इस डॉक्टर के व्यवहार को लेकर यह कोई पहला मामला नहीं, बल्कि अनेक बार यह चिकित्सक अपने व्यवहार को लेकर चर्चाओं में रहते हैं. कुछ अन्य मरीजों के साथ आए तीमारदारों ने भी कहा कि यहां मरीज को इलाज तो पूरा मिलता ही नहीं बल्कि डॉक्टर का रूखा व्यवहार उनको और ज्यादा परेशानी देता है.
बता दें कि मार्च माह के अंतिम सप्ताह में सिविल सर्जन डॉ. जयमाला ने आधी रात को नागरिक अस्पताल के औचक निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिलने पर डॉक्टर बस स्टाफ को हिदायत दी थी कि वे मरीजों के साथ शालीनतापूर्वक व्यवहार करें. कार्य में किसी तरह की कोई ढिलाई व लापरवाही न बरतें. मगर उनके आदेशों के अस्पताल में पालन के लिए कई स्वास्थ्य कर्मचारी गंभीर नहीं दिखते. बल्कि अपने रुखे व्यवहार से मरीजों की पीड़ा ज्यादा बढ़ा देते हैं.
सिविल सर्जन डॉ. जयमाला का कहना है कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है. इसको लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों को जांच के लिए कहा है. डॉक्टर व स्टाफ को शालीनतापूर्वक व्यवहार के लिए सख्त हिदायत दी हुई है. यदि कोई भी स्वास्थ्य कर्मी मरीजों-तीमारदारों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
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/ शील भारद्वाज
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