काठमांडू, 01 जुलाई (Udaipur Kiran) । विदेश मंत्री डॉ. आरजू राणा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नेपाल और इसी तरह की स्थलाकृति वाले देशों के लिए टिकाऊ कृषि प्रणालियों के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्र के लिए जलवायु वित्त का समर्थन करने का आह्वान किया है। उन्होंने नेपाल के लिए अनुदान-आधारित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से पीड़ित विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान होना चाहिए।
रोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 44वीं महासभा में सोमवार को मंत्री राणा ने कहा, जलवायु संकट के कारण नेपाल का पहाड़ी क्षेत्र और नेपाल जैसे देश सबसे अधिक असुरक्षित हैं। हालांकि, जलवायु वित्त और अनुकूलन प्रयासों में इन क्षेत्रों की उपेक्षा की गई है। यह आवश्यक है कि इस मुद्दे पर सभी चिंतित लोग इस पर ध्यान दें। उन्होंने उल्लेख किया कि नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 23 प्रतिशत है और लगभग दो-तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर करती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा, पोषण, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास में कृषि की भूमिका महत्वपूर्ण है।
मंत्री डॉ. राणा ने कहा कि 2030 तक भूखमरी से मुक्त दुनिया बनाने का लक्ष्य अभी भी अधूरा है और महामारी, जलवायु संकट, आर्थिक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों द्वारा चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा कि टिकाऊ और लचीला पर्वतीय कृषि संवर्धन न केवल हमारी आजीविका के लिए आवश्यक है बल्कि ग्रह की जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और पृथ्वी के पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्री डा. राणा ने कहा किनहम किसानों की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों तक पहुंच का विस्तार करने के लिए सहयोग चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बढ़ते जलवायु जोखिमों के संदर्भ में, हम टिकाऊ पर्वतीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए एफ. ए. ओ. के साथ मजबूत सहयोग की उम्मीद करते हैं।
इसके अतिरिक्त, नेपाल ने महिलाओं और युवा किसानों की भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ाने के लिए सफल प्रथाओं के बारे में अनुभवों और ज्ञान को साझा करने की उम्मीद व्यक्त की है। मंत्री राणा ने नेपाल की सफल और नवीन कृषि प्रथाओं का विस्तार करने की इच्छा को ‘चार बेहतर’ दृष्टिकोण के रूप में व्यक्त करते हुए दोहराया।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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