उदयपुर, 8 नवम्बर 2024 — भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय में सृजनात्मकता और अभिव्यक्ति की कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विशेष कहानी वाचन कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला मानव पुस्तकालय कैफे के क्षेत्रीय केंद्र के सीईओ और अटल इनोवेशन मिशन नीति आयोग, वाराणसी के प्रशिक्षक आयुष क्षेत्री द्वारा संचालित की गई. कार्यशाला में आयुष क्षेत्री ने कहानी सुनाने की कला को एक माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया, जो न केवल रचनात्मकता को बढ़ावा देती है बल्कि सांस्कृतिक समझ को भी मजबूत करती है.
कहानी कहने का महत्व: विचारों और संस्कृति का संगमआयुष क्षेत्री ने कार्यशाला में कहा, “कहानी सुनाने के माध्यम से सांस्कृतिक समझ विकसित होती है. यह कला हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उसे साझा करने का एक साधन देती है.” कहानी केवल एक कहने या सुनने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक माध्यम है जिसमें हम अपनी सोच, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करते हैं. उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्हें बताया कि कैसे कहानी वाचन के माध्यम से अपनी बात को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है.
कार्यशाला में छात्रों के लिए रचनात्मकता के नए आयामइस कार्यशाला में विज्ञान संकाय की डीन डॉ. रेणु राठौर, डीन फॉसएच डॉ. शिल्पा राठौर और प्रबंधन संकाय की निदेशक डॉ. रजनी अरोरा उपस्थित रहीं, जिन्होंने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किए. कार्यक्रम का संयोजन अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. जयश्री सिंह ने किया, जबकि डॉ. मनीषा शेखावत ने इसे सफलतापूर्वक संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. तकनीकी सहयोग छात्रों और विद्वानों ने दिया, जो कार्यशाला के प्रभावी संचालन में सहायक रहा.
कहानी लेखन की बारीकियों पर फोकसकार्यशाला में कहानी के घटकों पर विशेष ध्यान दिया गया, जैसे कि पात्र निर्माण, घटनाओं का क्रम, संवाद और वातावरण का चित्रण. प्रतिभागियों को यह सिखाया गया कि कैसे एक सशक्त कहानी का निर्माण किया जाए और उसे रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जाए. कल्पनाशील लेखन अभ्यास के माध्यम से छात्रों ने दृश्य चित्रण और चरित्र निर्माण जैसी गतिविधियों में भाग लिया, जिससे उनकी रचनात्मक सोच को नया आयाम मिला. इस कार्यशाला का उद्देश्य सिर्फ कहानी कहने तक सीमित नहीं था, बल्कि छात्रों में आत्मविश्वास, संचार कौशल और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना था.
प्रेरक उद्बोधन और मार्गदर्शनबीएन विश्वविद्यालय के संरक्षक अध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह आगरिया और रजिस्ट्रार डॉ. एन.एन. सिंह ने भी कार्यशाला में अपने प्रेरणादायी उद्बोधन से छात्रों का मनोबल बढ़ाया. वहीं, विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा, “यह कार्यशाला विद्यार्थियों के लिए केवल कहानी कहने का मंच नहीं है, बल्कि यह उनके विचारों और दृष्टिकोण को विस्तार देने का अवसर है.” उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल उनके लेखन कौशल को बेहतर करते हैं बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भरते हैं और समाज में अपनी पहचान बनाने का मार्ग दिखाते हैं.
समाज और संस्कृति से जुड़े कहानी के ताने-बानेकार्यशाला में, छात्रों ने सीखा कि कैसे अपनी कल्पनाओं को शब्दों में पिरोया जाए और उसे एक अनूठा दृष्टिकोण दिया जाए. कहानी सुनाने की कला सिर्फ शाब्दिक नहीं होती, बल्कि यह हमारे समाज और संस्कृति का प्रतिबिंब भी होती है. कार्यशाला ने छात्रों को यह समझने का अवसर दिया कि उनकी कहानियाँ समाज को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती हैं और उनके विचारों में किस तरह की गहराई ला सकती हैं.
छात्रों की ओर से सम्मान और आभारकार्यशाला का समापन सम्मान और आभार के साथ हुआ. शोध छात्रा मनवी शर्मा ने सभी अतिथियों का अभिनंदन किया और छात्रों ने इस विशेष आयोजन को लेकर प्रसन्नता और संतोष व्यक्त किया. जनसंपर्क अधिकारी डॉ. कमल सिंह राठौर ने जानकारी दी कि इस कार्यशाला ने विद्यार्थियों को उनके विचारों को एक सशक्त माध्यम में बदलने का अवसर दिया और उनके रचनात्मक कौशल को नए आयाम दिए.
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