– मंथन बैठक में सहकारिता आंदोलन को सशक्त करने पर जोर, राज्यों से स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार नीति बनाने की अपील
नई दिल्ली, 30 जून (Udaipur Kiran) । अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में मंथन बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में देशभर के सहकारिता मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने भाग लिया। शाह ने घोषणा की कि बहुत शीघ्र राष्ट्रीय सहकारिता नीति लागू की जाएगी, जो वर्ष 2025 से लेकर 2045 तक देश के सहकारी क्षेत्र का मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि हर राज्य अपनी स्थानीय आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार अपनी सहकारिता नीति बनाएगा।
बैठक में प्राकृतिक खेती, ग्रामीण रोजगार सृजन और सहकारी संस्थाओं के विस्तार पर विशेष बल दिया गया। शाह ने कहा कि देश की एक बड़ी आबादी के पास सीमित संसाधन हैं और उनकी छोटी-छोटी पूंजी को मिलाकर बड़ा कार्य केवल सहकारिता के माध्यम से ही संभव है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सहकारी आंकड़ा-संग्रह तंत्र (डेटाबेस) के माध्यम से यह पता लगाया जा सकेगा कि देश के किन गांवों में अभी तक कोई सहकारी संस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य है कि आने वाले पांच वर्षों में देश का कोई भी गांव ऐसा न रहे, जहां कोई सहकारी संस्था न हो।
शाह ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के माध्यम से सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता विकास की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि हर राज्य कम से कम एक प्रशिक्षण संस्था को इस विश्वविद्यालय से जोड़े।
बैठक में दो लाख बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों की स्थापना, दुग्ध और मत्स्य सहकारिता के विस्तार, देश की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना तथा श्वेत क्रांति 2.0 जैसी पहलों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सहकारी निर्यात संस्था, राष्ट्रीय सहकारी जैविक संस्था और भारतीय बीज सहकारी संस्था जैसी नवगठित संस्थाओं की प्रगति की समीक्षा भी की गई। बैठक में यह भी तय किया गया कि सहकारी बैंकों में अधिक पारदर्शिता लाई जाएगी और उनके कार्यों का अधिकतम कम्प्यूटरीकरण किया जाएगा।
शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने के लिए मूल आदर्श अधिनियम (मॉडल एक्ट) को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। उन्होंने राज्यों से आह्वान किया कि सहकारिता के बीच सहयोग की भावना को अपनाकर देश को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में सहकारिता की भूमिका को मजबूत करें।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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