गुवाहाटी, 22 जून (Udaipur Kiran) । असम की राजधानी गुवाहाटी के नीलाचल पहाड़ी पर स्थित विश्व विख्यात शक्तिपीठ कामाख्या धाम में हर साल अंबुबासी मेला का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु कामाख्या धाम में मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। इस साल अंबुबासी मेला 22 जून यानी आज से शुरू होने जा रहा है।
कामाख्या धाम 51 शक्तिपीठों में से अन्यतम शक्तिपीठ माना जाता है। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के उचित प्रबंधन के लिए सरकार एवं कामाख्या मंदिर अंबुबासी प्रबंधन समिति ने सभी प्रकार के प्रबंध किए हैं। आज शाम को पांडु पोर्ट इलाके में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा मेला का उद्घाटन करेंगे।
मंदिर के प्रधान दोलोई कबिन्द्र प्रसाद शर्मा एवं हिमाद्रि शर्मा ने बताया है कि इस वर्ष की अंबुवासी महायोग की प्रवृत्ति 22 जून की दोपहर 2.56.29 सेकेंड पर शुरू होने जा रहा है। अंबुबासी महायोग शुरू होने की बाद मंदिर के द्वार अगले तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के द्वार 23, 24 एवं 25 जून तक पूरी तरह बंद रहेंगे। अंबुबासी महायोग के निवृत्ति के बाद 26 जून को पूजा के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट पुनः खोले जाएंगे। 26 से 30 जून तक कोई बीआईपी तथा वीवीआईपी पास जारी नहीं किया जाएगा।
अंबुबासी मेला दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्रियों, साधुओं एवं आध्यात्मिक साधकों को आकर्षित करता है। यह मेला आमतौर पर असमिया महीने आहार (मध्य जून) में लगता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वह समय है, जब माता रानी कामाख्या रजस्वला होती हैं। साधकों के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया हैं।
गुवाहाटी पुलिस आयुक्त पार्थ सरथी महंत ने बताया कि इस बार भूस्खलन की गंभीर समस्या को देखते हुए विशेष सावधानी बरती जा रही है। पहाड़ पर सुबह 5 से शाम को 6 बजे तक जाना संभव होगा। श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर तक पैदल ही ऊपर जाना होगा।
उधर पांडु से कामाख्या धाम की ओर जाने वाला मार्ग पूरी तरह बंद किया गया है। केवल मेखेला उजोआ रास्ता और त्रिनाथ मंदिर के मार्ग ही खुले रहेंगे। मोटर मार्ग पर जगह-जगह पानी, चिकित्सा सहायता और विश्राम की सुविधा की गयी है ताकि भक्तों को कोई कठिनाई न हो।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था किये गये हैं। सुरक्षाकर्मी, स्वयंसेवक के साथ-साथ पूरे मंदिर परिसर में 500 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। साफ-सफाई की व्यवस्था पर भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। आम नागरिकों को विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं, बुजुर्ग, विद्यार्थी, दिव्यांगजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, स्कूल बस जैसे आपातकालीन सेवाओं को निर्बाध आवागमन के लिए जिला प्रशासन द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था में व्यापक प्रतिबंध लागू किया गया है।
अंबुबासी मेले में आए श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से तीन अस्थायी शिविर बनाया गया है। कामाख्या पहाड़ी के तलहटी में मां कामाख्या मंदिर की ओर किसी भी वहान के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, यह प्रतिबंध आपातकालीन वाहनों पर लागू नहीं होगा।
कामाख्या रेलवे जंक्शन से श्रद्धालुओं को लेकर बस स्थायी विश्राम शिविर तक जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए तीन अस्थायी शिविर पांडू पोर्ट, कामाख्या जंक्शन और बंसी बागान में लगाया गया है। इसके अलावा नगर की विभिन्न लॉज, निचले कामाख्या तथा पांडु मालीगांव के विभिन्न मंदिर में जगह-जगह श्रद्धालु के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की गयी है। कई सामाजिक संगठनों ने श्रद्धालुओं के लिए भोजन, पीने के पानी की व्यवस्था की है। साथ ही निचले कामाख्या एवं पांडू में कई निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाया गया है। विषम गर्मी के लिए जगह-जगह पानी की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।
अंबुबासी महायोग के अवसर पर मां कामाख्या मंदिर को बेहद सुंदर तरीके से सजाया गया है। निचले कामाख्या एवं पांडु में मेला के मद्देनजर साफ-सफाई तथा रंगाई-पुताई की गयी है। पांडु इलाके में अब लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है।
अंबुबासी मेला अपने प्राचीन अनुष्ठानों, समृद्धि इतिहास और गहन आध्यात्मिक महत्व के साथ यह मेला भारत की आध्यात्मिक विरासत की आधारशिला बना हुआ है।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर
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