कोलकाता, 09 अगस्त (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की राजधानी काेलकाता में शनिवार को नवान्न (सचिवालय) अभियान के दौरान मचे हंगामे में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की यौन उत्पीड़न पीड़िता की मां घायल हो गईं। उनका आरोप है कि महिला पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज किया, जिससे उनके सिर पर चोट लगी और हाथ की शंखा (चूड़ी) टूट गई।
जानकारी के मुताबिक, पीड़िता के माता-पिता ने स्वयं इस अभियान का आह्वान किया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी समर्थन दिया था। शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे धर्मतला से नवान्न की ओर रैली शुरू हुई। पीड़िता के मां-बाप भी इस जुलूस में शामिल थे। रैली जब पार्क स्ट्रीट मोड़ पर पहुंची, तो पुलिस ने उसे रोक दिया। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
पीड़िता की मां का दावा है कि इस झड़प में महिला पुलिसकर्मियों की लाठी उनके सिर पर लगी, जिससे माथा सूज गया और उनके हाथ की शंखा टूट गई। झड़प के बाद भी पीड़िता के माता-पिता करीब 30 समर्थकों के साथ रेसकोर्स होते हुए विद्यासागर सेतु की ओर बढ़ने लगे। इस समूह में नेता प्रतिपक्ष व भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी के करीबी कौस्तव बागची और प्रीतम दत्ता भी मौजूद थे।
हालांकि, रेसकोर्स के पास पुलिस ने उन्हें फिर से रोक दिया। वहां पहले लोहे की ग्रिल, फिर लकड़ी की संरचना और उसके बाद बांस की बैरिकेडिंग लगाई गई थी।
रैली शुरू होने से पहले ही धर्मतला में पहुंचे पीड़िता के पिता ने पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हमारी गाड़ी का नंबर हर जगह दिया गया था, फिर भी हमें कई बार रोका गया। पुलिस से आंख-मिचौली करते हुए यहां पहुंचना पड़ा। हाई कोर्ट ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी थी, इसके बावजूद जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए।”
विधानसभा से निकलकर शुभेंदु अधिकारी भी करीब 11:45 बजे रैली में शामिल हुए। रवाना होने से पहले उन्होंने कहा था, हम किसी टकराव में नहीं पड़ेंगे। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पूछा, इतने बैरिकेड लगाने की क्या जरूरत है? साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, वह सभी की मुख्यमंत्री बनकर काम करने में विफल रही हैं।
आरजी कर कांड की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने कहा, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआई जांच कर रही है। यदि जांच पर कोई आपत्ति है तो अदालत में शिकायत की जा सकती है।————————
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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