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हरित चेतना का व्रत : युवा चेतना वाटिका का प्रकृति व संस्कृति समन्वित लोकार्पण

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गोरखपुर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । “जहाँ वृक्ष लगते हैं, वहाँ विचार अंकुरित होते हैं; जहाँ चेतना जागती है, वहाँ सभ्यता संवरती है।”

ऐसी ही एक ऐतिहासिक और आत्मविभोर कर देने वाली बेला गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रांगण में आज तब उपस्थित हुई, जब युवा चेतना समिति ने अपने रजत जयंती वर्ष के पावन अवसर पर युवा चेतना वाटिका के निर्माण और पौधारोपण कार्यक्रम का लोकोद्घाटन कर एक हरित युग का आह्वान किया।

यह कार्यक्रम संवेदनशीलता, सामाजिक उत्तरदायित्व एवं पर्यावरणीय पुनर्जागरण का सजीव दस्तावेज बनकर उपस्थित हुआ।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय ककी कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पाम पौधे के रोपण के साथ किया। उन्होंने इसे हरियाली नहीं, वरन् एक चेतनामयी विचार का आरोपण कहा। उन्होंने कहा—

प्रकृति से विमुख होकर प्रगति नहीं हो सकती। यह आयोजन पर्यावरणीय अनुष्ठान के साथ आत्मजागरण का यज्ञ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वोत्तर रेलवे के पूर्व प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक रणविजय सिंह ने की, जिन्होंने उद्बोधन में अत्यंत मार्मिक शब्दों में कहा—इस यांत्रिक युग में प्रकृति की पुकार को सुनना और उसका सम्मान करना ही सच्चा मानवीय धर्म है। इस वाटिका के रूप में हमने न केवल पौधों को रोपा है, बल्कि संस्कृति, संवेदना और सत्कर्म के बीज भी बोए हैं।

कार्यक्रम के समापन पर समिति के *अध्यक्ष मांधाता सिंह* ने हृदयस्पर्शी उद्गार व्यक्त करते हुए कहा —

यह आयोजन केवल पौधारोपण के साथ मानव धर्म का निर्वाह है। प्रत्येक पौधा एक व्रत है, एक यज्ञ है, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल छाया देगा, बल्कि जीवन-मूल्य भी सिखाएगा।* ”

इस अवसर पर विद्यार्थियों एवं अतिथियों द्वारा आम, अमरूद, नीम, पीपल, अशोक आदि छायादार व औषधीय वृक्षों का रोपण किया गया — जो आने वाले समय में विश्वविद्यालय को केवल हरित ही नहीं, अपितु आध्यात्मिक चेतना का केंद्र भी बनाएंगे।

(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

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