भोपाल, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । विश्व हेपेटाईटिस दिवस के अवसर पर सोमवार को हेपेटाईटिस स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविरों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सेंट्रल जेल भोपाल में विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर एक महीने का स्क्रीनिंग शिविर की शुरुआत की गई, जो कि आगामी एक माह तक संचालित किया जाएगा। जिसमें बंदियों की हेपेटाइटिस बीसी एचआईवी, वीडीआरएल, एसटीआई, टीबी स्क्रीनिंग की जाएगी। पहले दिन 175 कैदियों की जांच की गई। केन्द्र सरकार द्वारा 2018 में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाईटिस कण्ट्रोल कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। जिसका उददेश्य 2030 तक हेपेटाईटिस सी का उन्मूलन करना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि यह दिवस हेपेटाईटिस बी वायरस की खोज करने वाले डॉ. बरूच ब्लुमबर्ग की जन्मतिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस लेट्स ब्रेक इट डाउन की थीम पर मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत हेपेटाईटिस बी और सी से संक्रमित लोगों की स्वास्थ्य जटिलताओं और मृत्यु दर को कम करना है। वायरल हेपेटाईटिस कण्ट्रोल कार्यक्रम के अंतर्गत लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर के खतरों को कम के साथ ही हेपेटाईटिस ए और ई से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान और मृत्यु की दर को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हेपेटाईटिस एक वायरल संक्रमण है,जो लीवर को संक्रमित करता है। हेपेटाईटिस ए और ई का संक्रमण दूषित खाने और पानी की वजह से फैलता है। हाथों की स्वच्छता एवं साफ भोजन और पानी के इस्तेमाल से इसका प्रसार रोका जा सकता है।
हेपेटाईटिस सी का प्रसार संक्रमित रक्त से होता है। हेपेटाईटिस बी के मरीज़ों में वर्षों तक कोई लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। इसलिए समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श अनुसार जांच करवाना बेहद आवश्यक है। हेपेटाईटिस बी होने पर शरीर में दर्द, पीलिया, पेट में पानी भर जाना, लीवर में दर्द होना, खून की उल्टियां होना, भूख ना लगना, पेट में सूजन आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। क्रॉनिक हेपेटाईटिस की स्थिति में लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हेपेटाईटिस बी का संक्रमण असुरक्षित इंजेक्शन, संक्रमित ख़ून, गोदना का प्रयोग या नाक अथवा कान को छेदने में संक्रमित सुई के इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संबंध, असुरक्षित समलैंगिग संबंध से फैल सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि हेपेटाईटिस बी से बचाव हेतु शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में टीकाकरण निःशुल्क किया जाता है। शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में हेपेटाईटिस की जांच एवं उपचार निःशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है।
हेपेटाईटिस बी संक्रमित मां से, गर्भस्थ शिशु में संक्रमण पहुंचने की संभावना भी होती है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं में हेपेटाईटिस बी की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है,मां के संक्रमित होने पर बच्चे को एच. बी. इम्युनोग्लोबिन लगाई जाती है। स्वास्थ्य संस्थाओं में ट्रिपल टेस्टिंग शुरू की गई है,जिसमें एच.आई.वी., हेपेटाईटिस बी और सिफलिस संक्रमण की जांच की जाती है।
(Udaipur Kiran) तोमर
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