कोंडागांव, 2 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले की फरसगांव पुलिस ने 11 राज्यों में करोड़ों की ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों जे सुधाकर पट्टनायक खुर्सीपार, जिला दुर्ग, रवि साहू बैकुंठ नगर कैंप दुर्ग, दुर्गेश सोनी गुरुघासीदास नगर दुर्ग, चंदन विश्वकर्मा बैकुंठ नगर दुर्ग तथा प्रभाकर राय बोरगांव, फरसगांव, जिला कोंडागांव को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार ठगी के आरोपितों पर 11 राज्यों के कुल 17 मामलों में लगभग 1 करोड़ 70 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी का आरोप है। आने वाले समय में इस गिरोह से जुड़े और भी नामों का खुलासा होने की संभावना है। पुलिस मुख्यालय रायपुर ने साइबर अपराध रोकने के निर्देश के तहत काेंड़ागांव एसपी वाय. अक्षय कुमार एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कौशलेन्द्र देव पटेल के मार्गदर्शन में एसडीओपी फरसगांव अभिनव उपाध्याय के नेतृत्व में गठित विशेष टीम ने की. टीम में थाना फरसगांव के निरीक्षक संजय सिन्दे और साइबर सेल के विशेषज्ञाें के द्वारा लंबे समय से चल रही निगरानी के बाद आरोपितों को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार कर पुलिस ने ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह के पूरे नेटवर्क काे उजागर कर दिया है।
कोंडागांव पुलिस अधीक्षक कार्यालय द्वारा आज दी गई जानकारी के अनुसार कराेड़ाें के साइबर धोखाधड़ी के मामले पर विवेचना की शुरुआत थाना फरसगांव में दर्ज अपराध क्रमांक 46/2025 से हुई, जब एक आरोपित भावेश तारम पकड़ा गया। भावेश तारम म्यूल एकाउंट धारक था, पूछ-ताछ में उसने खुलासा किया कि पूरा गिरोह लेयर सिस्टम में काम करता है। लेयर एक में म्यूल एकाउंट खुलवाने वाले लोग, लेयर दो में एकाउंट खरीदकर बेचने वाले बिचौलिए शामिल होते हैं । लेयर तीन और चार में असली स्कैमर होते हैं जो धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। शातिर ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह के आरोपित, लोगों को मामूली रकम का लालच देकर उनके नाम पर बैंक एकाउंट, एटीएम कार्ड, पासबुक और मोबाइल सिम हासिल करते थे, इसके बाद इन खातों का इस्तेमाल बड़ी साइबर ठगी में किया जाता था। जिसके तहत थाना फरसगांव में दर्ज चार मामलों अपराध क्रमांक 46/2025, 82/2025, 83/2025, 84/2025 की जांच में सामने आया कि सभी में साइबर धोखाधड़ी के लिए एक जैसी कार्य प्रणाली के तहत फर्जी म्यूल एकाउंट खोलकर अलग-अलग राज्यों में ऑनलाइन फ्रॉड किए गए। म्यूल एकाउंट वे बैंक खाते होते हैं, जो किसी आम व्यक्ति के नाम पर खोले जाते हैं। स्कैमर इन्हें धोखाधड़ी में इस्तेमाल करते हैं। खाताधारक को कुछ पैसा देकर उनका डेटा और डॉक्युमेंट ले लिया जाता है, लेकिन बाद में वह व्यक्ति भी कानूनी कार्रवाई की जद में आ जाता है।
काेंड़ागांव एसपी वाय. अक्षय कुमार ने आज एक पत्रकार वार्ता में कहा कि आने वाले समय में इस गिरोह से जुड़े और भी नामों का खुलासा होने की संभावना है। उन्होंने इस कार्रवाई को बड़ी सफलता बताते हुए नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी लालच या धोखे में आकर अपना बैंक एकाउंट, पासबुक, एटीएम या सिम किसी को न दें। ऐसा करना साइबर अपराध में भागीदारी माना जाता है, और कड़ी सज़ा हो सकती है।
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे
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