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'विश्व की नंबर वन' बताना पड़ा महंगा, बोरोप्लस पर उपभोक्ता आयोग ने लगाया 30 हजार का जुर्माना

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अजमेर, 16 जुलाई (Udaipur Kiran) । मशहूर एंटीसेप्टिक क्रीम ‘बोरोप्लस’ को खुद को विश्व की नंबर वन क्रीम बताना भारी पड़ गया है। अजमेर जिला उपभोक्ता आयोग ने इसे भ्रामक विज्ञापन करार देते हुए निर्माता कंपनी इमामी पर 30 हजार रुपचे का जुर्माना लगाया है। साथ ही कंपनी को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे दावे भविष्य में न दोहराए और अपने विज्ञापन में सुधार करे।

यह मामला अजमेर निवासी एडवोकेट तरुण अग्रवाल द्वारा दायर किया गया था।

उन्होंने उपभोक्ता अदालत में याचिका लगाई थी कि बोरोप्लस क्रीम के रैपर, वेबसाइट और विज्ञापनों में अलग-अलग दावे किए गए हैं। कहीं इसे ‘विश्व की नंबर वन’, तो कहीं ‘भारत की नंबर वन’ और ‘भारत में सबसे अधिक बिकने वाली’ क्रीम बताया गया है। अग्रवाल का कहना था कि यह उपभोक्ताओं को भ्रमित करने वाली रणनीति है और उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए भ्रामक प्रचार किया गया।

अग्रवाल ने इस संदर्भ में कंपनी इमामी को लीगल नोटिस भेजा था, लेकिन इमामी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। आयोग की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने केवल यह दावा किया कि मार्च 2018 तक बोरोप्लस भारत में सबसे अधिक बिकने वाली एंटीसेप्टिक स्किन क्रीम रही है, लेकिन विश्व की नंबर वन होने का कोई वैश्विक प्रमाण या दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका।

अजमेर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमावत, सदस्य दिनेश चतुर्वेदी और जयश्री शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया। आयोग ने स्पष्ट कहा कि कंपनी ‘बेस्ट’ या ‘अमेजिंग’ जैसे सामान्य विशेषण इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन विश्व की नंबर वन जैसे ठोस दावे करने के लिए वैध अंतरराष्ट्रीय प्रमाण आवश्यक है। बिना प्रमाण ऐसे दावे भ्रामक विज्ञापन की श्रेणी में आते हैं। आयोग ने यह मामला उपभोक्ता हित से जुड़ा हुआ माना और इमामी पर कुल 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें पांच हजार रुपये वादकर्ता के कानूनी खर्च के रूप में और शेष 25 हजार रुपये राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश दिए गए हैं।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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