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कुलधरा की खामोश गलियाँ और अनसुनी चीखें, 3 मिनट के वीडियो में जानिए क्या सच में यहां भटकती हैं 84 परिवारों की आत्माएं?

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राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित कुलधरा गाँव, एक ऐसा स्थान है जो रहस्य, इतिहास और भयावहता का प्रतीक बन चुका है। 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया यह गाँव, कभी समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव का केंद्र था। हालांकि, 19वीं शताब्दी की शुरुआत में यह गाँव अचानक वीरान हो गया, और तब से यह एक 'भूतिया गाँव' के रूप में प्रसिद्ध है।


कुलधरा का इतिहास: समृद्धि से वीरानी तक

कुलधरा गाँव की स्थापना 1291 ईस्वी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा की गई थी। ये लोग कृषि, व्यापार और जल प्रबंधन में निपुण थे। गाँव की योजना सुव्यवस्थित थी, जिसमें चौड़ी गलियाँ, मंदिर और जल संचयन के लिए कुंए और बावड़ियाँ शामिल थीं। कुलधरा के निवासी वैष्णव थे, और उन्होंने विष्णु और महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियों वाले मंदिरों का निर्माण किया था। गाँव की समृद्धि का प्रमाण वहाँ की वास्तुकला और सामाजिक संरचना में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

रहस्यमयी परित्याग: एक रात में 84 गाँवों का खाली होना
कुलधरा के परित्याग के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह की नजर गाँव के मुखिया की बेटी पर पड़ी। उसने लड़की से विवाह करने की जिद की और गाँव वालों को धमकी दी। अपने सम्मान की रक्षा के लिए, पालीवाल ब्राह्मणों ने एक रात में कुलधरा सहित आसपास के 84 गाँवों को खाली कर दिया और कभी वापस नहीं लौटे। कहते हैं कि जाते-जाते उन्होंने गाँव को श्राप दिया कि यहाँ कोई भी दोबारा बस नहीं पाएगा।

क्या कुलधरा वास्तव में भूतिया है?
कुलधरा को लेकर कई भूतिया कहानियाँ प्रचलित हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि रात के समय गाँव में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, और कुछ लोगों ने परछाइयाँ देखने का दावा भी किया है। भारतीय पैरानॉर्मल सोसाइटी ने भी यहाँ रात बिताई और अजीब घटनाओं का अनुभव किया। हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गाँव के परित्याग के पीछे जल संकट, अत्यधिक कर और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भी कारण हो सकती हैं।

पर्यटन और वर्तमान स्थिति
आज कुलधरा एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। राजस्थान सरकार ने इसे विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें कैफे, लोक नृत्य प्रदर्शन क्षेत्र और रात में ठहरने के लिए कॉटेज शामिल हैं। हालांकि, सूर्यास्त के बाद गाँव में प्रवेश वर्जित है, और पर्यटकों को दिन के समय ही भ्रमण करने की अनुमति है। गाँव की रहस्यमयी और भूतिया छवि पर्यटकों को आकर्षित करती है, और यह स्थान उन लोगों के लिए आदर्श है जो इतिहास और रहस्यों में रुचि रखते हैं।

निष्कर्ष
कुलधरा गाँव एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास, रहस्य और लोककथाएँ एक साथ मिलती हैं। चाहे इसके परित्याग के पीछे सलीम सिंह की कहानी हो या जल संकट और भूकंप जैसे प्राकृतिक कारण, यह गाँव आज भी लोगों की कल्पना को आकर्षित करता है। यदि आप कभी राजस्थान जाएँ, तो कुलधरा की खामोश गलियों में जरूर भ्रमण करें और उस रहस्य को महसूस करें जो सदियों से यहाँ बसा हुआ है।

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