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जहां भूत भी नहीं डालते कदम! राजस्थान के इस हनुमान मंदिर की रहस्यमयी शक्ति जानकर कांप उठेगा दिल, वीडियो में देखे खौफनाक चमत्कार

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राजस्थान में राम भक्त हनुमान को मानने वाले भक्तों और हनुमान मंदिरों की कमी नहीं है। ऐसे में शनिवार को प्रदेश में हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जाएगी। हालांकि, राजस्थान में कई चमत्कारी मंदिर भी हैं। इन्हीं में से एक है दो पहाड़ियों के बीच बना मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर। अरावली पर्वत पर बना यह मंदिर एक हजार साल पुराना माना जाता है।


दौसा जिले में है मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। भक्त दूर-दूर से मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। कहा जाता है कि मेहंदीपुर धाम मुख्य रूप से नकारात्मक शक्ति और भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि नकारात्मक शक्ति से पीड़ित लोगों को यहां जल्द ही राहत मिलती है।कहा जाता है कि बालाजी की छाती के बाईं ओर एक छोटा सा छेद है। इससे पानी बहता रहता है। जो भी बालाजी के दरबार में आता है, वह आरती में शामिल होकर आरती की छींट जरूर लेता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारियों और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है। 

मंदिर में विराजमान हैं तीन देवता
इस मंदिर में तीन देवता विराजमान हैं, बालाजी, प्रेतराज और भैरव। इन तीनों देवताओं को अलग-अलग तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बालाजी महाराज लड्डू से प्रसन्न होते हैं। वहीं भैरव जी को उड़द और प्रेतराज को चावल का भोग लगाया जाता है। बालाजी के धाम में आने से कम से कम एक सप्ताह पहले प्याज, लहसुन, शराब, मांस, अंडा और मदिरा का सेवन बंद कर देना चाहिए। कहा जाता है कि अगर बालाजी को चढ़ाए गए प्रसाद के दो लड्डू भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को खिला दिए जाएं तो उसके शरीर में मौजूद भूत को बहुत कष्ट होता है और वह तड़पने लगता है।

जान लें यह नियम
आमतौर पर मंदिर में दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद घर ले आते हैं, लेकिन कहा जाता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से प्रसाद घर नहीं लाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से आप पर भूत-प्रेत का साया पड़ सकता है। बालाजी के दर्शन करने के बाद घर लौटते समय यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि आपकी जेब या बैग में खाने-पीने की कोई चीज न हो। कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों को जब तक वे बालाजी की नगरी में रहें, तब तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जो भी यहां नियमों का पालन नहीं करता है, उसे पूरा लाभ नहीं मिलता है और दुर्भाग्य की संभावना बनी रहती है। यहां पर चढ़ने वाले प्रसाद को दरखावस्त या अर्जी कहा जाता है। मंदिर में दरखावस्त प्रसाद चढ़ाने के बाद तुरंत उस स्थान को छोड़ देना होता है, जबकि अर्जी प्रसाद लेते समय उसे पीछे की ओर फेंकना होता है। प्रसाद फेंकते समय पीछे की ओर नहीं देखना चाहिए।

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