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पोषण एवं औषधीय खूबियों वाले इस वृक्ष के मुरीद हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इसके पौधारोपण पर भी जोर

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वास्थ्य के लिए शक्तिशाली सहजन के बड़े प्रशंसक हैं। मोरिंगा या सहजन को 'केक पर आइसिंग' माना जाता है। हरा होने के साथ-साथ यह पोषण भी प्रदान करता है। पोषण न केवल मनुष्यों के लिए, बल्कि कृषि और पशुओं के लिए भी लाभदायक है।

सहजन के फूल आमतौर पर तब आते हैं जब किसी अन्य फल या फूल में फूल नहीं आते। फूलों पर आने वाली मधुमक्खियां भी परागण में मदद करती हैं। कृषि में परागण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि परागण वैश्विक फसल उत्पादन में लगभग 5 से 8 प्रतिशत का योगदान देता है। यह लगभग 235 से 577 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। सहजन की लकड़ी का उपयोग करके वर्मीकम्पोस्ट बनाएं या मधुमक्खियां पालें, इसके पोषण संबंधी लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पहले कार्यकाल से ही ढोल के पौधे लगाने को लेकर विशेष निर्देश देते रहे हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हाल ही में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास योजनाओं के सभी लाभार्थियों सहित 'शून्य गरीबी' श्रेणी में चिन्हित प्रत्येक परिवार को एक 'डर्मस्टिक' पौधा दिया जाए।

इतना ही नहीं, उन्होंने विकास के मानकों में पिछड़े आकांक्षी जिलों के प्रत्येक परिवार को कुछ ढोल के पौधे लगाने का भी निर्देश दिया है। योगी सरकार के गृह उद्यान के पीछे यही विचार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से सांसद थे, तब से ही ढोल वाद्य की इन खूबियों से परिचित हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश में हरियाली बढ़ाने और यहां के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए शुरू किए गए वृक्षारोपण कार्य में सहजन को भी प्राथमिकता दी गई।
मोरिंगा के तुलनात्मक पोषण गुण
विटामिन सी - संतरे से 7 गुना अधिक
विटामिन ए - गाजर से चार गुना अधिक


कैल्शियम - दूध से बढ़ता है
पोटेशियम - केले से तीन गुना अधिक

प्रोटीन - दही से तीन गुना अधिक

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