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चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें कैसे हुई थी देवी की उत्पत्ति

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ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: चैत्र माह की नवरात्रि आरंभ हो चुकी है और आज नवरात्रि का दूसरा दिन है जो कि मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा को समर्पित है। इस दिन भक्त माता ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी मां की असीम कृपा बरसती है।

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कथा के अनुसार मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से कष्टों का निवारण हो जाता है और देवी कृपा बरसती है। इस दिन पूजा के समय अगर कथा का पाठ किया जाए तो देवी शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करती हैं और कष्टों का निवारण कर देती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा। 

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नवरात्रि के दूसरे दिन पढ़ें यह व्रत कथा—
मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश का पालन किया जिसके अनुसार भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां माता ने घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया. एक हजार वर्ष तक मां ब्रह्मचारिणी ने सिर्फ फल-फूल खाकर तपस्या की और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया. कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहती रही. कई वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाएं और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं. इसके बाद तो मां ब्रह्मचारिणी ने सूखे बिल्व पत्र खाने भी छोड़ दिए. वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं.

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कठिन तपस्या के कारण मां ब्रह्मचारिणी का शरीर एकदम क्षीण हो गया. माता मैना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी उ…मां… तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया. उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कार्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे.

माता की तपस्या को देखकर ब्रह्माजी ने आकाशवाणी करते हुए कहा कि देवी आज तक किसी न भी इतनी कठोर तपस्या नही की होगी जैसी तुमने की है. तुम्हारे कार्यों का सराहना चारों ओर हो रही है. तुम्हारी मनोकामना जरूर पूरी होगी जल्दी ही भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे. अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं. इसके बाद माता घर लौट आएं और कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के लेख के अनुसार उनका विवाह महादेव शिव के साथ हो गया.

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