राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर किला न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी यह एक अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। इसी किले में बसा है त्रिनेत्र गणेश मंदिर, जो भगवान गणेश का एक अत्यंत दुर्लभ और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के श्रद्धालुओं के बीच बेहद आस्था का केंद्र है।
क्या है मंदिर की खासियत?त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है — यहां भगवान गणेश की तीन नेत्रों वाली प्रतिमा, जो देशभर में बहुत ही कम देखने को मिलती है। माना जाता है कि यह मूर्ति स्वयंभू है, यानी यह प्रतिमा जमीन से स्वयं प्रकट हुई थी। इसके साथ ही भगवान गणेश के पूरे परिवार — रिद्धि, सिद्धि और उनके पुत्र शुभ-लाभ की प्रतिमाएं भी यहां विराजमान हैं। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां गणेशजी पूरे परिवार के साथ पूजे जाते हैं।
इतिहास से जुड़ी मान्यताइस मंदिर का निर्माण 1299 ईस्वी में रणथंभौर के राजा हम्मीर देव चौहान ने करवाया था। कहा जाता है कि जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभौर पर आक्रमण किया, तब राजा हम्मीर देव ने भगवान गणेश से युद्ध में विजय की कामना की। उसी रात गणेशजी ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए और किले की दीवार पर त्रिनेत्र रूप में प्रकट हुए। इसके बाद राजा ने वहां मंदिर बनवाया।
पत्र भेजने की अनूठी परंपराइस मंदिर की एक और खास परंपरा है — भगवान गणेश को निमंत्रण पत्र भेजना। देशभर से लोग अपने विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या किसी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश को पत्र भेजते हैं, ताकि वह सबसे पहले आमंत्रित अतिथि बनें। मंदिर में प्रतिदिन हजारों निमंत्रण पत्र डाक द्वारा आते हैं और उन्हें विधिवत पूजा के बाद गणेशजी को समर्पित किया जाता है।
भक्तों का तांताहर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) को यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु देशभर से दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस दिन मंदिर में रातभर भजन-कीर्तन होते हैं और पूरा किला भक्ति के रंग में रंग जाता है।
कैसे पहुंचे?त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर नेशनल पार्क के भीतर स्थित है। सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से यह लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को किले की चढ़ाई करनी पड़ती है, जो लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी है, लेकिन गणेश जी के दर्शन की भावना यह थकान भूलने नहीं देती।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और चमत्कारों की जीवंत मिसाल है। अगर आप राजस्थान जाएं, तो रणथंभौर के इस अद्भुत मंदिर के दर्शन किए बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है।
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