झारखंड की राजधानी रांची स्थित होटल रेडिसन ब्लू में आज (10 जुलाई) पूर्वी क्षेत्रीय परिषद (Eastern Zonal Council) की 27वीं बैठक का आयोजन हुआ। इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। बैठक में झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव सहित कुल 199 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की इस बैठक का उद्देश्य राज्यों के बीच आपसी समन्वय को बढ़ावा देना, क्षेत्रीय विकास में तेजी लाना और लंबित मुद्दों के समाधान पर चर्चा करना था। बैठक में सीमा विवाद, कानून-व्यवस्था, नक्सल उन्मूलन, बुनियादी ढांचा विकास, जल संसाधन प्रबंधन, परिवहन और ऊर्जा जैसे अहम विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की शुरुआत में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया और क्षेत्रीय परिषद की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि इस मंच के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद की एक मजबूत व्यवस्था बनती है, जिससे विकास कार्यों में तेजी लाई जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वी भारत के राज्यों में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें सही दिशा और संसाधनों के माध्यम से राष्ट्रीय विकास में बदला जा सकता है।
बैठक के दौरान अमित शाह ने आपसी समन्वय से जुड़े कई जटिल मुद्दों को सुलझाने की दिशा में सकारात्मक पहल करने का आह्वान किया। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे सीमावर्ती इलाकों में समन्वित रूप से कार्य करें, जिससे सुरक्षा व्यवस्था और विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।
बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन मांझी, और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रतिनिधि मौजूद रहे। सभी राज्यों ने अपने-अपने विकासात्मक कार्यों और समस्याओं से केंद्र को अवगत कराया।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में कुल 40 से अधिक मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें से कई पर सहमति बनी और उनका समाधान निकाला गया। गृह मंत्रालय ने भरोसा दिलाया कि शेष बिंदुओं पर भी समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की यह बैठक सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism) की एक मिसाल मानी जा रही है, जिसमें राज्यों और केंद्र सरकार ने मिलकर विकास और सुरक्षा के साझा एजेंडे पर एक साथ काम करने का संकल्प लिया।
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