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कैब कंपनियों की नहीं चलेगी मनमानी, सरकार तय करेगी बेस फेयर, केंद्र सरकार ने जारी की मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस

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केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन 2025 जारी की है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने संशोधित मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन 2025 में पहली बार निजी मोटरसाइकिल चालकों को पूरे भारत में राइड-हेलिंग एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पर बाइक टैक्सी सेवा चलाने की अनुमति दी है। सरकार ने 2020 के पुराने नियमों की जगह 2025 के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं - जो इलेक्ट्रिक वाहनों, ऑटो-रिक्शा और बाइक टैक्सी जैसे परिवहन के साधनों के विकास को ध्यान में रखते हैं।

नए दिशा-निर्देशों से जुड़ी अहम बातें

अनिवार्य लाइसेंस और शुल्क: सभी एग्रीगेटर्स को राज्य सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। लाइसेंस शुल्क: ₹5 लाख (नया), ₹25,000 (नवीनीकरण), सुरक्षा जमा के लिए अधिकतम राशि ₹50 लाख तक। लाइसेंस के लिए पात्रता: केवल कंपनियाँ, एलएलपी या सहकारी समितियाँ ही एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए पात्र होंगी। आईटी और उपभोक्ता संरक्षण और डेटा सुरक्षा कानूनों का अनुपालन अनिवार्य होगा। ड्राइवरों के लिए कल्याणकारी प्रावधान: ड्राइवरों को न्यूनतम ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा और ₹10 लाख का टर्म इंश्योरेंस मिलेगा। साथ ही, उन्हें एक से अधिक प्लेटफॉर्म पर वाहन चलाने की अनुमति होगी। यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान: हर वाहन में जीपीएस, पैनिक बटन, प्राथमिक चिकित्सा किट और अग्निशामक यंत्र अनिवार्य होगा। ड्यूटी के दौरान शराब/ड्रग्स को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति होगी।

कैब कंपनी मनमाना किराया नहीं वसूल पाएगी

सरकार ने इन दिशा-निर्देशों में किराया नियंत्रण (फेयर रेगुलेशन) से संबंधित प्रावधान भी किए हैं। इसके तहत अब राज्य सरकारें न्यूनतम बेस किराया तय करेंगी और किराया अधिकतम 2 गुना तक गतिशील हो सकता है, जिसमें न्यूनतम 50% की कमी की जा सकती है। वहीं, ड्राइवर को कुल किराए का 80% (अगर वाहन एग्रीगेटर का है तो 60%) मिलेगा। साथ ही, कैब एग्रीगेटर कंपनियों को पर्यावरण अनुकूल ईंधन को प्राथमिकता देनी होगी। इस नियम का उल्लंघन करने पर 3 महीने तक लाइसेंस निलंबित या रद्द किया जा सकता है। वहीं, गंभीर मामलों में 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

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