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सोम प्रदोष व्रत: शिव की कृपा पाने का विशेष अवसर

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प्रदोष व्रत का महत्व

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और इसे हर महीने दो बार मनाया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का संचार होता है। उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस महीने का अंतिम प्रदोष व्रत सोम प्रदोष के रूप में मनाया जाएगा।


सोम प्रदोष व्रत की तिथि सोम प्रदोष व्रत कब होगा?

वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 जून, सोमवार को आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी, जो उसी दिन रात 10 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, 23 जून को सोम प्रदोष व्रत का आयोजन किया जाएगा, क्योंकि यह दिन और तिथि दोनों ही प्रदोष व्रत के लिए शुभ माने जाते हैं।


सोम प्रदोष का अर्थ और महत्व सोम प्रदोष का अर्थ और महत्व

जब त्रयोदशी तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत को करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। जो लोग अपनी कुंडली में अशुभ चंद्रमा की स्थिति से परेशान हैं, उन्हें यह व्रत नियमित रूप से करना चाहिए। इसके अलावा, संतान प्राप्ति के लिए भी प्रदोष व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है।


प्रदोष व्रत की पूजा विधि प्रदोष व्रत के नियम और पूजा विधि

प्रदोष व्रत का पालन करते समय कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • स्नान और संकल्प: प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।

  • पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और भगवान शिव की पूजा के लिए तैयार करें।

  • पंचामृत से अभिषेक: भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल) से अभिषेक करें।

  • शिव परिवार की पूजा: भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि-विधान से करें।

  • बलि और आहुति: बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि भगवान शिव को अर्पित करें।

  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ: प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें जिससे व्रत का महत्व और पुण्य प्राप्त होता है।

  • आरती और शिव चालीसा: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।

  • उपवास का पारण: व्रत पूरा होने के बाद ही उपवास का पारण करें।


प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसे करने से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं, जीवन में समृद्धि आती है और इच्छाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति का चंद्रमा मजबूत होता है, जिससे मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। यदि आप अपने जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं, तो प्रदोष व्रत को श्रद्धा और भक्ति से अवश्य करें। 23 जून, सोमवार को आने वाला सोम प्रदोष व्रत आपके लिए खुशियों और आशीर्वाद का संदेश लेकर आएगा।


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