News India Live, Digital Desk: Rules for circumambulation in the Temple: मंदिरों में देवताओं की प्रतिमाओं की परिक्रमा करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। परिक्रमा से मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा और देवता का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि अलग-अलग देवी-देवताओं की परिक्रमा के नियम भी भिन्न-भिन्न होते हैं? आइए विस्तार से जानें कि कौन से देवता की कितनी बार और किस दिशा में परिक्रमा करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर की सही विधि से परिक्रमा करने पर व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है। मंदिर में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने का सबसे प्रभावी तरीका परिक्रमा ही माना गया है।
परिक्रमा को ‘प्रदक्षिणा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है दाईं ओर से घूमना। मूर्तियों की सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की तरफ प्रवाहित होती है, इसीलिए परिक्रमा हमेशा प्रतिमा की दाईं ओर से करनी चाहिए।
किस देवता की परिक्रमा कितनी बार करनी चाहिए?भगवान विष्णु और शिव
- नारद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की परिक्रमा चार बार करनी चाहिए।
- शिवलिंग की केवल आधी परिक्रमा करनी चाहिए। जलाधारी को पार नहीं करना चाहिए। जलाधारी तक पहुंचते ही परिक्रमा पूर्ण मानी जाती है।
सूर्य देव, गणेश, मां दुर्गा और हनुमानजी
- सूर्य देव की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- गौरीपुत्र भगवान गणेश की परिक्रमा चार बार करनी चाहिए।
- मां दुर्गा समेत अन्य सभी देवियों की परिक्रमा केवल एक बार करनी चाहिए।
- रामभक्त हनुमानजी की परिक्रमा तीन बार करनी चाहिए।
इन नियमों का पालन करके श्रद्धालु अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूर्ण रूप से सफल बना सकते हैं।
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