घरेलू म्यूचुअल फंड भारत में सभी सूचीबद्ध कंपनियों में तीसरे सबसे बड़े निवेशक के रूप में उभरे हैं।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा हाल ही में प्रकाशित इंडियाज ओनरशिप ट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में म्यूचुअल फंड स्वामित्व का प्रतिशत पहली बार 10 प्रतिशत को पार कर गया है। सभी सूचीबद्ध कंपनियों में म्यूचुअल फंड के स्वामित्व का प्रतिशत मार्च 2024 के अंत में 8.9 प्रतिशत और दिसंबर 2024 के अंत में 9.9 प्रतिशत था, जो मार्च 2025 के अंत में बढ़कर 10.4 प्रतिशत हो गया। इसके कारण, म्यूचुअल फंड अब इस तरह के स्वामित्व में व्यक्तिगत निवेशकों और भारत सरकार से आगे निकल गए हैं और सबसे अधिक हिस्सेदारी वाले निवेशकों में तीसरा स्थान ले लिया है।
म्यूचुअल फंड के स्वामित्व प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि मुख्य रूप से खुदरा निवेशकों द्वारा एसआईपी के माध्यम से किए जा रहे नियमित निवेश और हर महीने एसआईपी प्रवाह में वृद्धि के कारण है। इससे निफ्टी 50 सूचकांक में शामिल कंपनियों में म्यूचुअल फंडों का स्वामित्व प्रतिशत 12.6 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, तथा निफ्टी 500 सूचकांक में शामिल कंपनियों में यह 10.7 प्रतिशत हो गया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी सूचीबद्ध कंपनियों में म्यूचुअल फंडों की हिस्सेदारी पहली बार 10% को पार कर गई है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024-25 में एसआईआई के तहत औसत मासिक निवेश प्रवाह 45.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। सितंबर 2024 में प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अक्टूबर से भारतीय शेयर बाजार में मंदी का दौर शुरू हो गया और 2025 में यह मंदी का दौर और तेज हो गया। हालांकि, इक्विटी योजनाओं और म्यूचुअल फंडों की एसआईपी के तहत निवेश के प्रवाह में लगातार वृद्धि हुई है, जिसके कारण फंड अपने निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने में सक्षम हुए हैं। 2024-25 में कुल रु. 4.2 लाख करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष 2023-24 से लगभग दोगुना है।
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