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ट्रंप के टैरिफ फैसलों से वैश्विक बाजारों में हलचल, बोले – इलाज के लिए दवा जरूरी

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ट्रंप के टैरिफ फैसलों से वैश्विक बाजारों में हलचल, बोले – इलाज के लिए दवा जरूरी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने जवाबी टैरिफ को लेकर बड़ा बयान दिया है। दुनिया भर के बाजारों में उथल-पुथल के बीच ट्रंप ने रविवार को कहा कि कभी-कभी किसी समस्या को ठीक करने के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है। ट्रंप का यह बयान उनके टैरिफ फैसलों से वैश्विक शेयर बाजारों में आई गिरावट के संदर्भ में आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे जानबूझकर बाजारों में अस्थिरता नहीं पैदा कर रहे हैं।

शेयर बाजारों पर पड़ा असर

ट्रंप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं नहीं चाहता कि बाजार गिरे, लेकिन कुछ चीजें सुधारने के लिए आपको कड़े कदम उठाने पड़ते हैं।” एयरफोर्स वन में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि उनके टैरिफ फैसलों से अमेरिका को फायदा हो रहा है, भले ही इससे कुछ समय के लिए बाजार प्रभावित हो रहे हों।

इन टैरिफ के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई है और कई बड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी नुकसान देखने को मिला है।

जो बाइडेन पर निशाना

ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडेन पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में अमेरिका को कई देशों से व्यापार घाटा झेलना पड़ा। ट्रंप ने दावा किया कि चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ अमेरिका का व्यापार संतुलन बिगड़ा हुआ था और इसे टैरिफ के जरिए ही सुधारा जा सकता है।

अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने कहा, “बाइडेन के समय में जो व्यापार घाटा हुआ, उसे हम अब पलटने जा रहे हैं। अब टैरिफ के जरिए अरबों डॉलर अमेरिका में लौट रहे हैं और अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं। एक दिन लोग समझेंगे कि टैरिफ अमेरिका के लिए फायदेमंद रहे हैं।”

विशेषज्ञों की चेतावनी: बाजार में उतार-चढ़ाव संभव

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ फैसलों से वैश्विक व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार प्रभावित हो सकती है। इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में भी कई घरेलू और वैश्विक घटनाक्रमों के कारण उतार-चढ़ाव की संभावना जताई जा रही है।

विशेष रूप से भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक और अमेरिका से आने वाले महंगाई के आंकड़े बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशक फिलहाल सतर्क हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि अगर व्यापार युद्ध की स्थिति गहराई, तो इसका असर वैश्विक विकास दर पर पड़ेगा।

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