वैसे तो हमारे घर और रसोई में ऐसे अनेक मसाले, और पदार्थ हैं, जिनमें कई औषधीय गुण होते हैं, इनमे
ईसबगोल का प्रयोग भी बहुत पुराने समय से किया जाता रहा है।
मुख्यत: यह पेट से सम्बंधित रोगों में, जैसे कब्ज, अतिसार, कीड़ों, अमीबीया (Amoebas), जियारडियास (giardiasis) और अम्ल-पित्त में प्रभावी माना जाता है। पर, अधिकतर लोग रक्त-चाप, हृदय-रोग, मधुमेह, वजन को नियमित रखने में और शीघ्र-पात आदि में इस के लाभों से परिचित नहीं हैं। इसे लेने का एक बढ़िया तरीका है, आधे ग्लास पानी में एक से दो चम्मच 5 मिनट तक भिगो कर पी लें और इस के बाद एक ग्लास पानी और पी लें। इसे खाने के 1 घंटे बाद लेना बेहतर है। वजन घटाने के लिए दिन में 3 बार खाने से आधा घंटा पहिले लेना उचित है, अन्य मामलों में सोने से पहले।
2. इसबगोल के कुछ लाभ और प्रयोग विधि :
1 डाइबिटीज : ईसबगोल का पानी के साथ सेवन, रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में मदद करता है।
2 बवासीर : खूनी बवासीर में ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है।
3 अतिसार (DIARRHEA) : पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी ईसबगोल बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है। दही में मिलकर खाने से तुरन्त लाभ मिलता है।
बवासीर एवं दस्त रोगों में, ईसबगोल का विशिष्ट योग :
ईसबगोल 50 ग्राम, छोटी इलायची 25 ग्राम और धनिया के बीज 25 ग्राम लेकर सबको मिलाकर चूर्ण बना लें तथा नित्य 5 ग्राम की मात्रा में नित्य प्रात: एवं शाम को पानी या दूध के साथ सेवन करने से बवासीर, रक्तस्राव, मूत्रकृच्छ, प्रमेह, कब्ज, वर में दस्त, पुराना दस्त रोग, नकसीर एवं पित्तविकार के कारण दस्त में लाभ होता है। दस्त रोगों में चूर्ण को जल के साथ ही लेना उचित रहता है।
4 पाचन तंत्र : यदि आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है।
5 जोड़ों में दर्द : जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। इसके अलावा दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। विनेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है।
6 कफ : कफ जमा होने एवं तकलीफ होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है।
7. वजन कम करे : वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
8. सर दर्द : ईसबगोल का सेवन सिरदर्द के लिए भी उपयोगी है। नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है। प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है।
9. सांस की दुर्गन्ध : ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है।
10 नकसीर : नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करना, फायदेमंद होता है।
इनके अतिरिक्त, कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए, पेशाब की जलन, श्वेतप्रदर, कान का दर्द, मुंह के छाले, आंतों की जलन, मूत्रकृच्छ्र आदि में भी इससे लाभ मिलता है।
विशेष :
इसबगोल का अधिक सेवन करने से कई बार कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जठराग्नि का मंद होना भी संभव हैं। इसलिए इसके तयशुदा सेवन के समय प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करे। इसके साथ द्राक्षासव का सेवन करने से भी इसके अहित प्रभावों से बचा जा सकता हैं। गर्भवती स्त्रियां इसका सेवन सावधानी पूर्वक करे। सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य ले।
चेतावनी/अस्वीकरण (Warning/Disclaimer) :
हम कोई क्वालिफाइड डाक्टर, वैद्य, या चिकितसक नहीं हैं। इस पोस्ट में दी गई स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, नेट से जुताई गई जानकारी, स्वयं का अनुभव और एक्सपर्ट्स से की गई चर्चा के आधार पर है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं। इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें। किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। दवा कोई भी हो, चाहे आयुर्वेदिक, जड़ी-बूटी, या घरेलू उपयोग के मसाले, इनके भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना इनका उपयोग हानिकारक हो सकता है।
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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