नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने वाले लोक अभियोजक (Public Prosecutor) रेगुलर किए जाने का दावा नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामले में कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने वाले लोक अभियोजक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी सर्विस को रेग्युलर करने की मांग की थी। SC ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई संवैधानिक या वैधानिक अधिकार स्थापित नहीं किया कि जिससे कि उन्हें रेगुलर किए जाने का लाभमिल सके।
रेगुलर करने की मांग वाली अर्जी खारिज
SC के जस्टिस संजीव मेहता की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कलकत्ता HC ने रेग्युलराइजेशन की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। SC ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में कोई खामी नहीं है। अदालत ने इस तथ्य को भी देखा कि याचिकाकर्ता खुद ही जिला अधिकारी पुरुलिया से यह आग्रह करते रहे थे कि उन्हें जीवन यापन चलाने के लिए उनके कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर कार्य जारी रखने की इजाजत दी जाए। SC ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई संवैधानिक या वैधानिक अधिकार स्थापित नहीं किया कि जिससे कि उन्हें रेगुलर किए जाने का लाभमिल सके।
संबंधित राज्य के नियमों के आधार पर नियुक्ति
जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने माना कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की रेग्युलराइजेशन वाली मांग को खारिज कर कोई गलती नहीं की है। लोक अभियोजक की नियुक्ति एक प्रक्रिया है जो CRPC की धारा व राज्य के संबंधित रूल्स के तहत तय होते हैं। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत शख्स के रेग्युलेराइजेशन की मांग पर विचार नहीं हो सकता है क्योंकि यह कानूनी प्राक्रिया के खिलाफ होगा।
रेगुलर करने की मांग वाली अर्जी खारिज
SC के जस्टिस संजीव मेहता की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। कलकत्ता HC ने रेग्युलराइजेशन की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। SC ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में कोई खामी नहीं है। अदालत ने इस तथ्य को भी देखा कि याचिकाकर्ता खुद ही जिला अधिकारी पुरुलिया से यह आग्रह करते रहे थे कि उन्हें जीवन यापन चलाने के लिए उनके कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर कार्य जारी रखने की इजाजत दी जाए। SC ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई संवैधानिक या वैधानिक अधिकार स्थापित नहीं किया कि जिससे कि उन्हें रेगुलर किए जाने का लाभमिल सके।
संबंधित राज्य के नियमों के आधार पर नियुक्ति
जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने माना कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की रेग्युलराइजेशन वाली मांग को खारिज कर कोई गलती नहीं की है। लोक अभियोजक की नियुक्ति एक प्रक्रिया है जो CRPC की धारा व राज्य के संबंधित रूल्स के तहत तय होते हैं। ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर कार्यरत शख्स के रेग्युलेराइजेशन की मांग पर विचार नहीं हो सकता है क्योंकि यह कानूनी प्राक्रिया के खिलाफ होगा।
You may also like
भारत ने रच दिया इतिहास, सरकारी योजनाओं के दम पर चीन-अमेरिका को पछाड़ कर हासिल किया ये खास मुकाम
दिल्ली वाले ध्यान दें; पिंक और येलो लाइन पर मेट्रो ट्रेन कल सुबह देर से शुरू होगी, DMRC ने इस वजह से शेड्यूल बदला
क्या सोशल मीडिया की चमक ने पारंपरिक शिक्षा को पीछे छोड़ दिया? IITian और कंटेंट क्रिएटर की तुलना पर बहस
ग्रामीणों के साथ वन विभाग ने किया पौधरोपण
सीएम घोषणाओं की करें नियमित मॉनिटरिंगः डीएम