मुंबई: केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने बुधवार को देशव्यापी हड़ताल के दौरान बिहार में इंडिया गठबंधन की तरफ से चक्का जाम किया गया। इस दौरान तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पहली बार सड़क पर उतरे लेकिन उनकी वैन में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव को जगह नहीं मिलने को शिवसेना नेता संजय निरुपम ने अपमान से जोड़ा है। मूलरूप से बिहार के रहने वाले निरुपम एक्स पर लिखा कि आरजेडी के दबाव में कांग्रेस ने आज पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की इज़्ज़त सरेआम उतरवा दी। बिहार में इसी साल के अंत में चुनाव हैं। संभावना जताई जा रही है कि जब बिहार में विधानसभा चुनाव चल रहे होंगे। उसी वक्त पर महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों का बिगुल बज सकता है।
संजय निरुपम का छलका दर्द
बिहार बंद के कार्यक्रम में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के सिक्योरिटी द्वारा मना किए जाने के मुद्दे पर निरुपम ने जोरदार निशाना साधते हुए अपना दर्द बयां किया है। निरुपम ने लिखा है कि यह सब आरजेडी के दबाव में हुअ। कांग्रेस ने आज पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की इज़्ज़त सरेआम उतरवा दी। बिल्कुल उसी तरह जैसे उबाठा के दबाव में कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने पिछले साल मुझे प्रताड़ित किया था। यह है कांग्रेस का लाचार चेहरा। सहयोगी दलों के आगे पूरी पार्टी सरेंडर हो गई है। क्योंकि अधिकांश राज्यों में इसकी अपनी राजनीतिक ज़मीन समाप्त प्राय है। इसलिए अपने नेताओं को ज़लील करना कांग्रेस की नई परंपरा बन गई है। एक-एक करके सबकी बारी आएगी।
निर्दलीय जीते थे पप्पू यादव
पूर्णिया से पप्पू यादव निर्दलीय विजयी हुए थे। इंडिया गठबंधन से उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके बाद भी उन्हाेंने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। निरुपम ने बिहार बंद के दौरा हुए वकाये को हवा देकर नमक रगड़ दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कन्हैया कुमार जैसे ही रथ पर चढ़ने लगे, मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तुरंत नीचे उतार दिया और रथ पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी। पटना में महागठबंधन के प्रदर्शन के दौरान पप्पू यादव के साथ भी ऐसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें भी मंच पर जगह नहीं मिली। चढ़ने से रोक दिया गया। निरुपम ने पप्पू यादव और कन्हैया कुमार साथ हुई वाकये को मुद्दा बनाकर ऐसे वक्त पर कांग्रेस पर हमला बोला है जब महाराष्ट्र हिंदी-मराठी भाषा विवाद छाया हुआ है, इस मुद्दे पर निरुपम मुंबई और महाराष्ट्र में राज ठाकरे की मनसे को घेर रहे हैं। संजय निरुपम की मुंबई में एक बड़े उत्तर भारतीय नेता की छवि है।
संजय निरुपम का छलका दर्द
बिहार बंद के कार्यक्रम में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार के सिक्योरिटी द्वारा मना किए जाने के मुद्दे पर निरुपम ने जोरदार निशाना साधते हुए अपना दर्द बयां किया है। निरुपम ने लिखा है कि यह सब आरजेडी के दबाव में हुअ। कांग्रेस ने आज पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की इज़्ज़त सरेआम उतरवा दी। बिल्कुल उसी तरह जैसे उबाठा के दबाव में कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं ने पिछले साल मुझे प्रताड़ित किया था। यह है कांग्रेस का लाचार चेहरा। सहयोगी दलों के आगे पूरी पार्टी सरेंडर हो गई है। क्योंकि अधिकांश राज्यों में इसकी अपनी राजनीतिक ज़मीन समाप्त प्राय है। इसलिए अपने नेताओं को ज़लील करना कांग्रेस की नई परंपरा बन गई है। एक-एक करके सबकी बारी आएगी।
निर्दलीय जीते थे पप्पू यादव
पूर्णिया से पप्पू यादव निर्दलीय विजयी हुए थे। इंडिया गठबंधन से उन्हें टिकट नहीं मिला था। इसके बाद भी उन्हाेंने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। निरुपम ने बिहार बंद के दौरा हुए वकाये को हवा देकर नमक रगड़ दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कन्हैया कुमार जैसे ही रथ पर चढ़ने लगे, मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तुरंत नीचे उतार दिया और रथ पर चढ़ने की अनुमति नहीं दी। पटना में महागठबंधन के प्रदर्शन के दौरान पप्पू यादव के साथ भी ऐसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें भी मंच पर जगह नहीं मिली। चढ़ने से रोक दिया गया। निरुपम ने पप्पू यादव और कन्हैया कुमार साथ हुई वाकये को मुद्दा बनाकर ऐसे वक्त पर कांग्रेस पर हमला बोला है जब महाराष्ट्र हिंदी-मराठी भाषा विवाद छाया हुआ है, इस मुद्दे पर निरुपम मुंबई और महाराष्ट्र में राज ठाकरे की मनसे को घेर रहे हैं। संजय निरुपम की मुंबई में एक बड़े उत्तर भारतीय नेता की छवि है।
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