अहमदाबाद: देश भर के फॉर्मा कॉलेजों को मान्यता देने और उनकी हर गतिविधि के जिम्मेदारी फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) में व्यापक भ्रष्टाचार और धांधली की शिकायतों के बाद सीबीआई ने शिकंजा कसा है। पिछले हफ्ते सीबीआई ने पीसीआई के अध्यक्ष मोंटू पटेल के गांधीनगर के झुंडाल स्थित बंगले पर छापा मारा था। सीबीआई की जांच के बाद काउंसिल का कार्यभार उपाध्यक्ष जशु चौधरी को सौंप दिया गया है। फॉर्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के ऊपर सीबीआई की कार्रवाई ने हड़कंप मचा दिया है। मोंटू पटेल पर वित्तीय धांधली और रिश्वतखोरी के संगीन आरोप लग हैं। सीबीआई इस बात की भी जांच कर रही है कि कैसे 2023-24 के दौरान सिर्फ 13 दिनों में देश भर में 870 फार्मेसी कॉलेजों को मंजूरी दे दी गई। जांच के केंद्र में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल हैं।
कौन हैं मोंन्टू कुमार पटेल?
करीब 35 साल उम्र के मोन्टू कुमार पटेल का पीसीआई अध्यक्ष बनन किसी करिश्में से कम नहीं है। एक सामान्य परिवार से आने वाले मोन्टू पटेल पिछले करीब तीन साल पीसीआई के अध्यक्ष हैं। गांव के कॉलेज से फॉर्मेसी के ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद मोन्टू ने फॉर्मेसी काउंसिल की राजनीति में प्रवेश किया था। मोन्टू पटेल ने पहले गुजरात फॉर्मेसी काउंसिल में एंट्री ली। इसके बाद छगनभाई पटेल का विश्वास जीतकर आगे की राह तय की। संपर्क बनाने में माहिर मोन्टू की नजर दिल्ली की कुर्सी पर थी। जैसे ही फॉर्मेसी काउंसिल में जगह खाली तो मोन्टू खुद को सदस्य के तौर पर वहां नॉमिनेट करवा लिया। करीबी जानकारों की मानें त मोन्टू अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए एबीवीपी और आरएसएस का पूरा इस्तेमाल किया। जरूरत पड़ने पर न सिर्फ दो संगठनों को नीचा दिखाया बल्कि किनारा कर लिया।
दिग्गजों को पछाड़ कर कब्जाई कुर्सी
मोन्टू पटेल के पीसीआई अध्यक्ष बनने के सफर में जशु चौधरी, नवीन शेठ, छगनभाई पटेल जैसे नामों का जिक्र आता है, लेकिन मोंन्टू ने फिल्मी अंदाज में सभी को पीछे छोड़ते हुए खुद को पीसीआई अध्यक्ष बना लिया। यह भी दावा किया जाता है कि नवीन शेठ को अध्यक्ष बनना था लेकिन आखिर में उनके साथ खेला हो गया था। मोन्टू पटेल पर सीबीआई एक्शन के बाद गांधीनगर में उनके फ्रेंड सर्किल में हड़कंप है। मोन्टू पटेल की एक बड़ी खासियत यह है कि उनके न सिर्फ बीजेपी में मददगार हैं बल्कि कांग्रेस और आप नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं। सीबीआई रिश्वतखोरी के साथ कॉलेजों को मान्यता देने में की गई जल्दबाजी की जांच कर रही है। जांच में सामने आया है कि दस्तावेज के अनुसार कई कॉलेज जिनमें इमारतों, बुनियादी ढांचे, योग्य कर्मचारियों या यहां तक कि छात्रों की कमी थी उन्हें डॉ. पटेल और उनके सहयोगियों द्वारा संबद्धता प्रदान की गई थी।
कठघरे में पीसीआई का चुनाव
मोन्टू पटेल के खिलाफ कई जांचें चल रही हैं। इनमें उनके गुजरात फॉर्मेसी काउंसिल के इलेक्शन में हार जाने के बाद भी कुर्सी पर काबिज रहने और खुद को केंद्र शासित छोटे से राज्य से नॉमिनेट का मामला शामिल है। बताया जाता है। इस काम के उनकी मदद करने वालों को मोन्टू आगे चलकर चुप करा दिया था। यह जांच स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा है। तो वहीं दूसरी सीबीआई यह भी जांच रही है कि अप्रैल 2022 में पीसीआई अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले उन्होंने मतदाताओं की मेजबानी के लिए दिल्ली के एक होटल में 2.75 लाख रुपये के कमरे बुक किए थे।जीतने के बाद उन्होंने परिषद की प्रमुख भूमिकाओं में अपने सहयोगियों को नियुक्त करके और चुनिंदा व्यक्तियों को व्यापक अनुमोदन अधिकार देकर अपनी पकड़ को मजबूत किया।
हार के बाद भी बरकरार रखी पकड़
2023 के बाद कोर्ट के दखल के बाद हुए गुजरात स्टेट फॉर्मेसी काउंसिल के चुनाव में मोन्टू पटेल की करारी हार हुई थी। 95 हजार वोटों में मोन्टू पटेल को सिर्फ 439 वोट मिले थे। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मोंटू कुमार पटेल पर छह फार्मेसी कॉलेजों की मान्यता रिन्यूअल के लिए रिश्वत लेने का आरोप है। जांच एजेंसी मान रही है कि यह दायरा और बड़ा हो सकता है। सीबीआई केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव की शिकायत पर एक्शन में आई है। अब तक की जांच में सीबीआई को कई पुख्ता सबूत हाथ लगने की बात कही जा रही है।
कौन हैं मोंन्टू कुमार पटेल?
करीब 35 साल उम्र के मोन्टू कुमार पटेल का पीसीआई अध्यक्ष बनन किसी करिश्में से कम नहीं है। एक सामान्य परिवार से आने वाले मोन्टू पटेल पिछले करीब तीन साल पीसीआई के अध्यक्ष हैं। गांव के कॉलेज से फॉर्मेसी के ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद मोन्टू ने फॉर्मेसी काउंसिल की राजनीति में प्रवेश किया था। मोन्टू पटेल ने पहले गुजरात फॉर्मेसी काउंसिल में एंट्री ली। इसके बाद छगनभाई पटेल का विश्वास जीतकर आगे की राह तय की। संपर्क बनाने में माहिर मोन्टू की नजर दिल्ली की कुर्सी पर थी। जैसे ही फॉर्मेसी काउंसिल में जगह खाली तो मोन्टू खुद को सदस्य के तौर पर वहां नॉमिनेट करवा लिया। करीबी जानकारों की मानें त मोन्टू अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए एबीवीपी और आरएसएस का पूरा इस्तेमाल किया। जरूरत पड़ने पर न सिर्फ दो संगठनों को नीचा दिखाया बल्कि किनारा कर लिया।
दिग्गजों को पछाड़ कर कब्जाई कुर्सी
मोन्टू पटेल के पीसीआई अध्यक्ष बनने के सफर में जशु चौधरी, नवीन शेठ, छगनभाई पटेल जैसे नामों का जिक्र आता है, लेकिन मोंन्टू ने फिल्मी अंदाज में सभी को पीछे छोड़ते हुए खुद को पीसीआई अध्यक्ष बना लिया। यह भी दावा किया जाता है कि नवीन शेठ को अध्यक्ष बनना था लेकिन आखिर में उनके साथ खेला हो गया था। मोन्टू पटेल पर सीबीआई एक्शन के बाद गांधीनगर में उनके फ्रेंड सर्किल में हड़कंप है। मोन्टू पटेल की एक बड़ी खासियत यह है कि उनके न सिर्फ बीजेपी में मददगार हैं बल्कि कांग्रेस और आप नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं। सीबीआई रिश्वतखोरी के साथ कॉलेजों को मान्यता देने में की गई जल्दबाजी की जांच कर रही है। जांच में सामने आया है कि दस्तावेज के अनुसार कई कॉलेज जिनमें इमारतों, बुनियादी ढांचे, योग्य कर्मचारियों या यहां तक कि छात्रों की कमी थी उन्हें डॉ. पटेल और उनके सहयोगियों द्वारा संबद्धता प्रदान की गई थी।
कठघरे में पीसीआई का चुनाव
मोन्टू पटेल के खिलाफ कई जांचें चल रही हैं। इनमें उनके गुजरात फॉर्मेसी काउंसिल के इलेक्शन में हार जाने के बाद भी कुर्सी पर काबिज रहने और खुद को केंद्र शासित छोटे से राज्य से नॉमिनेट का मामला शामिल है। बताया जाता है। इस काम के उनकी मदद करने वालों को मोन्टू आगे चलकर चुप करा दिया था। यह जांच स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा है। तो वहीं दूसरी सीबीआई यह भी जांच रही है कि अप्रैल 2022 में पीसीआई अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले उन्होंने मतदाताओं की मेजबानी के लिए दिल्ली के एक होटल में 2.75 लाख रुपये के कमरे बुक किए थे।जीतने के बाद उन्होंने परिषद की प्रमुख भूमिकाओं में अपने सहयोगियों को नियुक्त करके और चुनिंदा व्यक्तियों को व्यापक अनुमोदन अधिकार देकर अपनी पकड़ को मजबूत किया।
हार के बाद भी बरकरार रखी पकड़
2023 के बाद कोर्ट के दखल के बाद हुए गुजरात स्टेट फॉर्मेसी काउंसिल के चुनाव में मोन्टू पटेल की करारी हार हुई थी। 95 हजार वोटों में मोन्टू पटेल को सिर्फ 439 वोट मिले थे। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मोंटू कुमार पटेल पर छह फार्मेसी कॉलेजों की मान्यता रिन्यूअल के लिए रिश्वत लेने का आरोप है। जांच एजेंसी मान रही है कि यह दायरा और बड़ा हो सकता है। सीबीआई केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव की शिकायत पर एक्शन में आई है। अब तक की जांच में सीबीआई को कई पुख्ता सबूत हाथ लगने की बात कही जा रही है।
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