ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर—ये दो ऐसी बीमारियाँ हैं जो अक्सर एक साथ आती हैं और शरीर को धीरे-धीरे अंदर से कमजोर करने लगती हैं। जब इलाज के तौर पर इंसुलिन लेना शुरू कर दिया जाता है, तब उम्मीद होती है कि शुगर कंट्रोल में आ जाएगी। लेकिन अगर इसके बावजूद भी शुगर बढ़ रही है और बीपी भी हाई बना रहता है, तो समझना ज़रूरी है कि मामला सिर्फ दवा का नहीं, जीवनशैली का भी है।
डॉ सुरेंद्र कुमार, एमबीबीएस, जनरल फिजिशियन, नई दिल्ली के मुताबिक,आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सिर्फ दवा लेना काफी नहीं होता। अगर खानपान, नींद, स्ट्रेस और एक्टिविटी का ख्याल न रखा जाए तो इंसुलिन का असर कम होने लगता है। कई बार बॉडी इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति में पहुंच जाती है, जिससे दवा काम नहीं करती और शुगर बढ़ती जाती है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे 6 ऐसे एक्सपर्ट-प्रूव टिप्स जिन्हें अपनाकर आप न सिर्फ शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं, बल्कि हाई बीपी की समस्या से भी राहत पा सकते हैं। ये टिप्स दवा के साथ-साथ आपकी लाइफस्टाइल को बैलेंस करने में भी मदद करेंगे, ताकि आप अंदर से हेल्दी और एनर्जेटिक महसूस कर सकें। (Photo credit):Canva
इंसुलिन के बाद भी शुगर क्यों बढ़ रही है?
अगर इंसुलिन लेने के बाद भी शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं आ रहा है, तो इसके पीछे इंसुलिन रेजिस्टेंस एक बड़ा कारण हो सकता है। इसका मतलब है कि आपका शरीर इंसुलिन को ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं कर पा रहा है। यह समस्या तब बढ़ती है जब व्यक्ति का वजन ज़्यादा हो, एक्सरसाइज न हो या स्ट्रेस ज़्यादा हो। साथ ही कुछ दवाइयां भी इंसुलिन की प्रभावशीलता को घटा सकती हैं। इसलिए सिर्फ डोज़ बढ़ाने से बात नहीं बनेगी, ज़रूरी है कि लाइफस्टाइल में बदलाव लाया जाए।
शुगर और बीपी का कनेक्शन समझें
ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर दोनों का आपस में गहरा संबंध है। जब शुगर लेवल अधिक होता है तो यह नसों और किडनी पर असर डालता है जिससे बीपी बढ़ने लगता है। यही कारण है कि डायबिटीज और हाई बीपी अक्सर साथ-साथ देखने को मिलते हैं। अगर एक कंट्रोल में नहीं है तो दूसरा भी बिगड़ सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि दोनों को साथ में मैनेज किया जाए। इसके लिए एक्सपर्ट नियमित जांच, सही खानपान और तनाव नियंत्रण की सलाह देते हैं।
खानपान में करें ये बदलाव
अगर इंसुलिन लेने के बावजूद सुधार नहीं हो रहा है, तो आपके डाइट प्लान की दोबारा समीक्षा ज़रूरी है। तला-भुना प्रोसेस्ड फूड, सफेद आटा, ज्यादा मीठी चीज़ें और हाई-सोडियम डाइट शुगर और बीपी दोनों को बिगाड़ सकते हैं। इसलिए इनकी जगह फाइबर युक्त सब्ज़ियां, साबुत अनाज, लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फल और नमक की कम मात्रा शामिल करें। साथ ही, खाने का समय नियमित रखें और रात का खाना हल्का लें ताकि ब्लड शुगर स्पाइक्स को रोका जा सके।
स्ट्रेस मैनेजमेंट है जरूरी

ज्यादा मानसिक तनाव न सिर्फ नींद और मूड पर असर डालता है बल्कि यह हार्मोनल बैलेंस को भी बिगाड़ता है। स्ट्रेस के दौरान कॉर्टिसोल नामक हार्मोन बढ़ता है जो ब्लड शुगर और बीपी दोनों को बढ़ा सकता है। इसलिए दिन में कुछ समय मेडिटेशन, योग या डीप ब्रीदिंग जैसी गतिविधियों को दें। कुछ लोग म्यूजिक या गार्डनिंग से भी स्ट्रेस कम करते हैं। जो भी तरीका आपके लिए कारगर हो, उसे अपनी डेली रूटीन में शामिल करें।
नींद की अहमियत को न करें नजरअंदाज
अपर्याप्त या खराब क्वालिटी की नींद भी शुगर और बीपी को बिगाड़ सकती है। नींद के दौरान शरीर की रिपेयरिंग होती है और हार्मोनल बैलेंस बना रहता है। जब नींद पूरी नहीं होती तो इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो जाती है जिससे शुगर लेवल बढ़ता है। साथ ही, नींद की कमी से तनाव भी बढ़ता है जो बीपी को हाई कर सकता है। इसलिए हर दिन 7-8 घंटे की गहरी और नियमित नींद लेना बेहद जरूरी है।
एक्टिव लाइफस्टाइल को बनाएं आदत
सिर्फ दवा नहीं, फिजिकल एक्टिविटी भी आपके ब्लड शुगर और बीपी को कंट्रोल करने में मदद करती है। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तेज़ वॉक, साइकलिंग या हल्की एक्सरसाइज करें। ऑफिस में लंबे समय तक बैठने से बचें, हर घंटे कुछ मिनट टहलें। एक्टिव रहने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है और इंसुलिन बेहतर काम करता है। इसके अलावा योग और स्ट्रेचिंग भी बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।