यदि एम्निओटिक फ्लूइड ज्यादा हो जाए, तो इस स्थिति को पालीहाइड्राम्निओस कहते हैं। इसमें प्रेग्नेंसी के दौरान यूट्रेस के अंदर एम्निओटिक फ्लूइड ज्यादा हो जाता है। पालीहाइड्राम्निओस के हल्के मामलों में कोई लक्षण या परेशानी नहीं होती है लेकिन इसके अधिक गंभीर मामलों में इलाज की जरूरत पड़ सकती है।
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कब शुरू होती है ये कंडीशन?
Clevelandclinicके अनुसार आमतौर पर यह कंडीशन आधी प्रेग्नेंसी गुजर जाने के बाद होती है लेकिन यह 16वें हफ्ते से पहले भी हो सकता है। इसके कम गंभीर मामलों में कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं आती है। डॉक्टर महिला की स्वास्थ्य स्थिति पर बारीकी से नजर रखते हैं और जरूरी ट्रीटमेंट करते हैं।
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इसके लक्षण क्या हैं
कुछ महिलाओं को इसकी वजह से कोई लक्षण महसूस नहीं होता है। अगर कंडीशन गंभीर रूप ले चुकी है तो महिला को पेट में टाइटनेस, ऐंठन या सांस फूलने की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा सीने में जलन, कब्ज, बार-बार पेशाब आना और हाथ-पैरों में सूजन भी आ सकती है।
एम्निओटिक फ्लूइड बनने की वजह
नेशनल हेल्थ सर्विसके अनुसार प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा एम्निओटिक फ्लूइड बनने की वजह जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकती है। इसके अलावा एक से ज्यादा बेबी होने, प्रेग्नेंसी में संक्रमण होने या शिशु को कोई जेनेटिक बीमारी होने पर भी यह समस्या हो सकती है।
पॉलीहाइड्रैम्निओस का ट्रीटमेंट क्या है?
पॉलीहाइड्रैम्निओस को आमतौर पर किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। आपको अपनी गर्भावस्था के बाकी समय और प्रसव और जन्म के दौरान अतिरिक्त जांच करानी पड़ सकती है। अगर पॉलीहाइड्रैम्निओस जेस्टेशनल डायबिटीज जैसी किसी स्थिति के कारण हुआ है, तो इसकी ट्रीटमेंट पर ध्यान दिया जाएगा। अगर आपको गंभीर पॉलीहाइड्रैम्निओस है, तो आपके गर्भ से पतली सुई का उपयोग करके कुछ एम्नियोटिक द्रव निकाला जा सकता है। आपको एक से अधिक बार इस उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
क्या इस कंडीशन से बचा जा सकता है?
Clevelandclinicके अनुसार पॉलीहाइड्रैम्निओस से बचा नहीं जा सकता है। अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है या प्रेग्नेंसी से पहले डायबिटीज रही है, तो आपको अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखना चाहिए। एक यही सावधानी है जो आप इस कंडीशन से बचने के लिए अपना सकती हैं।
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