गाजियाबाद: कविनगर इलाके में सगे भाई और बहन की आत्महत्या की खबर जो भी पढ़ रहा, सोचने पर मजबूर हो जा रहा है। भाई अविनाश दिल्ली में सरकारी नौकरी करता था। खुफिया विभाग में कार्यरत था पर पारिवारिक कलह झेल नहीं पाया। बहन अंजलि भी काफी पढ़ी-लिखी थी। नोएडा की एक बड़ी कंपनी में टीम लीड कर रही थी। अंजलि ने अपने 22 पेज के सुसाइड नोट में एक खास दोस्त का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि उनकी चिता को अग्नि सिर्फ वही देगा। अंजलि ने अपने खाते के पैसे उस दोस्त के नाम कर दिया है।
अंजलि ने अपने दोस्त को लिखे पत्र में लिखा है- 'अब सबकुछ तेरे हवाले, मैं अब दुनिया छोड़कर जा रही हूं। मुझे तू ही मुखाग्नि देगा, मेरे माता-पिता और अन्य को शव से हाथ नहीं लगाने देना।' अंजलि ने अपने दोस्त को अपना शुभचिंतक बताया। उन्होंने लिखा कि वह उसे कुछ गिफ्ट करना चाहती हैं। उन्होंने अपने एक बैंक खाते के सारे पैसे दोस्त को रखने के लिए कहा। दूसरे बैंक के पैसे और पॉलिसी घर के लोगों को देने के लिए कहा।
ग्राफिक डिजाइनर दोस्त के साथ पार्टनरशिप में किया काम परिवार से जुड़े एक सदस्य के मुताबिक, अंजलि का एक ग्राफिक डिजाइनर दोस्त है। दोनों ने साथ में काम किया है। अंजलि के पिता सुखवीर सिंह सरकारी अधिकारी हैं। सौतेली मां रितु सिंह भी सरकारी स्कूल में मास्टर हैं। अंजलि ने सुसाइड नोट में मां और पिता पर कई आरोप लगाए हैं। अंजलि ने बताया कि कैसे वह 16 सालों से सौतेली मां के साथ जी रही थी। भाई ने इतनी मेहनत करके सरकारी नौकरी पाई, लेकिन वह अपनी मर्जी से जिंदगी नहीं जी पाता था।
अंजलि ने अपने दोस्त को लिखे पत्र में लिखा है- 'अब सबकुछ तेरे हवाले, मैं अब दुनिया छोड़कर जा रही हूं। मुझे तू ही मुखाग्नि देगा, मेरे माता-पिता और अन्य को शव से हाथ नहीं लगाने देना।' अंजलि ने अपने दोस्त को अपना शुभचिंतक बताया। उन्होंने लिखा कि वह उसे कुछ गिफ्ट करना चाहती हैं। उन्होंने अपने एक बैंक खाते के सारे पैसे दोस्त को रखने के लिए कहा। दूसरे बैंक के पैसे और पॉलिसी घर के लोगों को देने के लिए कहा।
ग्राफिक डिजाइनर दोस्त के साथ पार्टनरशिप में किया काम परिवार से जुड़े एक सदस्य के मुताबिक, अंजलि का एक ग्राफिक डिजाइनर दोस्त है। दोनों ने साथ में काम किया है। अंजलि के पिता सुखवीर सिंह सरकारी अधिकारी हैं। सौतेली मां रितु सिंह भी सरकारी स्कूल में मास्टर हैं। अंजलि ने सुसाइड नोट में मां और पिता पर कई आरोप लगाए हैं। अंजलि ने बताया कि कैसे वह 16 सालों से सौतेली मां के साथ जी रही थी। भाई ने इतनी मेहनत करके सरकारी नौकरी पाई, लेकिन वह अपनी मर्जी से जिंदगी नहीं जी पाता था।