धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले में शुक्रवार को आसनबनी स्थित सेल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि.) की टासरा ओपेनकास्ट कोल परियोजना का काम शुरू करने का उग्र विरोध कर रहे ग्रामीणों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया है। लाठीचार्ज में कम से कम 10 ग्रामीण घायल हो गए हैं। घायलों में महिलाएं भी शामिल हैं। एक घायल महिला की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। हिंसक टकराव के कारण स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
कोल प्रोजेक्ट पर गांववालों का बवाल
पुलिस-प्रशासन का कहना है कि कोल परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन पर जबरन काम रोक रहे लोगों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया है। सेल की इस कोल परियोजना के विस्तार के लिए बलियापुर प्रखंड के आसनबनी, कालीपुर और सरिसाकुंडी गांव के स्थानीय रैयतों की करीब 42 एकड़ जमीन ली गई है, लेकिन कई रैयत अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
रैयत जान देने को तैयार लेकिन जमीन देने को नहीं
शुक्रवार को अधिग्रहीत जमीन का सीमांकन और समतलीकरण करने के लिए सेल की टीम पांच-छह जेसीबी लेकर आसनबनी गांव पहुंची तो सैकड़ों स्त्री-पुरुष इसका विरोध करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं लेने देंगे। मौके पर मौजूद पुलिस के सशस्त्र बल ने परियोजना का काम शुरू करने के लिए ग्रामीणों को हटाने की कोशिश की, तो दोनों तरफ से हाथापाई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
पुलिस का लाठीचार्ज
इस बीच पुलिस ने लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। संघर्ष में कई महिलाओं और पुरुषों को चोटें आई हैं। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि सेल प्रबंधन जबरन उनकी जमीन छीनने पर आमादा है। उनकी रोजी-रोटी गांव की जमीन पर खेतीबाड़ी से ही चलती है।
सेल प्रबंधन ने किया मुआवजे के भुगतान का दावा
दूसरी तरफ सेल प्रबंधन का दावा है कि अधिग्रहीत जमीन के एवज में 85 प्रतिशत से अधिक रैयतों को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है। यही नहीं, उनके पुनर्वास के लिए सभी तरह की सुविधाओं से युक्त टाउनशिप भी विकसित की गई है। केवल कुछ लोग परियोजना के काम में बाधा डाल रहे हैं। कुछ दिन पहले भी सेल की टीम यहां काम करने पहुंची थी तो गाड़ी ड्राइवरों के साथ मारपीट की गई थी। बहरहाल, संघर्ष और लाठी चार्ज की घटना को लेकर तनाव की स्थिति बरकरार है।
आईएएनएस के इनपुट्स
कोल प्रोजेक्ट पर गांववालों का बवाल
पुलिस-प्रशासन का कहना है कि कोल परियोजना के लिए अधिग्रहीत जमीन पर जबरन काम रोक रहे लोगों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया गया है। सेल की इस कोल परियोजना के विस्तार के लिए बलियापुर प्रखंड के आसनबनी, कालीपुर और सरिसाकुंडी गांव के स्थानीय रैयतों की करीब 42 एकड़ जमीन ली गई है, लेकिन कई रैयत अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
रैयत जान देने को तैयार लेकिन जमीन देने को नहीं
शुक्रवार को अधिग्रहीत जमीन का सीमांकन और समतलीकरण करने के लिए सेल की टीम पांच-छह जेसीबी लेकर आसनबनी गांव पहुंची तो सैकड़ों स्त्री-पुरुष इसका विरोध करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं लेने देंगे। मौके पर मौजूद पुलिस के सशस्त्र बल ने परियोजना का काम शुरू करने के लिए ग्रामीणों को हटाने की कोशिश की, तो दोनों तरफ से हाथापाई और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
पुलिस का लाठीचार्ज
इस बीच पुलिस ने लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। संघर्ष में कई महिलाओं और पुरुषों को चोटें आई हैं। घायलों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में चल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि सेल प्रबंधन जबरन उनकी जमीन छीनने पर आमादा है। उनकी रोजी-रोटी गांव की जमीन पर खेतीबाड़ी से ही चलती है।
सेल प्रबंधन ने किया मुआवजे के भुगतान का दावा
दूसरी तरफ सेल प्रबंधन का दावा है कि अधिग्रहीत जमीन के एवज में 85 प्रतिशत से अधिक रैयतों को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है। यही नहीं, उनके पुनर्वास के लिए सभी तरह की सुविधाओं से युक्त टाउनशिप भी विकसित की गई है। केवल कुछ लोग परियोजना के काम में बाधा डाल रहे हैं। कुछ दिन पहले भी सेल की टीम यहां काम करने पहुंची थी तो गाड़ी ड्राइवरों के साथ मारपीट की गई थी। बहरहाल, संघर्ष और लाठी चार्ज की घटना को लेकर तनाव की स्थिति बरकरार है।
आईएएनएस के इनपुट्स
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