आनंद त्रिपाठी, लखनऊ: यूपी में दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव पर राज्य विद्युत नियामक आयोग ने परीक्षण शुरू कर दिया है। नियामक आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक परीक्षण की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा, जिसके बाद आयोग अपनी संस्तुति राज्य सरकार को भेज देगा।
सूत्रों के मुताबिक बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव पर सुनवाई से पहले नियामक आयोग अपनी संस्तुति राज्य सरकार को भेज देगी, जिससे निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। अगर निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो सकता है।
संस्तुति के आधार पर शुरू होगी टेंडरिंग प्रक्रिया
निजीकरण पर नियामक आयोग की संस्तुति के बाद टेंडरिंग प्रक्रिया पावर कॉरपोरेशन शुरू करेगा। जो भी निजी कंपनियां डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था को लेना चाहती है, वो अपनी बिड्स अप्लाई करेंगी। इसमें पहले टेक्निकल बिड खोली जाएगी। इसके बाद फाइनेंशल बिड मंगवाई जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेशन ने टेंडरिंग का पूरा मसौदा तैयार कर लिया है। एक बार आयोग की राय मिलने के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। निजीकरण की प्रक्रिया में 42 जिलों में बिजली डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था को पीपीपी मॉडल पर किया जाना है। इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के सभी जिले शामिल हैं।
7 जुलाई से होनी है सुनवाई
बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव पर 7 जुलाई से सुनवाई होनी है। पावर कॉरपोरेशन ने बिजली दरों में 30% तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इसमें शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 35 से 40%, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओंकी दरों में 40 से 45%, कमर्शल उपभोक्ताओं की दरों में 20 से 25% और उद्योगों की दरों में 15 से 18% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है।
'यह निजीकरण का नहीं घोटाले है मसौदा'
विद्युत नियामक आयोग से निजीकरण पर सलाह मांगने के लिए जो मसौदा दिया गया है, उसके विरोध में उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग पहुंच गया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ये निजीकरण नहीं घोटाले का मसौदा है। निजीकरण के मसौदे को निजी घरानों के लिए फायदेमंद बताते हुए परिषद ने कंसल्टेंट अडवाइजर ग्रांट थॉर्नटन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
परिषद में आयोग से मांग की है कि पूरे मसौदे को सार्वजनिक किया जाए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने अपने प्रस्ताव में कहा आयोग ने खुद ही बकाया वसूली वितरण हानियां का अनुमोदन टैरिफ प्रस्ताव में दिया है। आरडीएसएस का अनुमोदन देते समय अनेकों मानक बनाएं। मसौदे में यह कैसे लिखा जा सकता है कि दक्षिणांचल व पूर्वाचल के विद्युत उपभोक्ताओं पर जो कुल लगभग 65,909 करोड़ बकाया है। उसमें से 30 से 40% बकाया वसूलना बाध्यकारी होगा, ऐसा न करने पर पेनल्टी लगाई जाएगी।
परिषद ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या बची 60% धनराशि को निजी घराने अपने पास रखेंगे। परिषद ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने के साथ वितरण हानियां घटकर 5 प्रतिशत से कम हो जाएंगी, फिर निजीकरण क्यों किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव पर सुनवाई से पहले नियामक आयोग अपनी संस्तुति राज्य सरकार को भेज देगी, जिससे निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। अगर निजीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो सकता है।
संस्तुति के आधार पर शुरू होगी टेंडरिंग प्रक्रिया
निजीकरण पर नियामक आयोग की संस्तुति के बाद टेंडरिंग प्रक्रिया पावर कॉरपोरेशन शुरू करेगा। जो भी निजी कंपनियां डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था को लेना चाहती है, वो अपनी बिड्स अप्लाई करेंगी। इसमें पहले टेक्निकल बिड खोली जाएगी। इसके बाद फाइनेंशल बिड मंगवाई जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेशन ने टेंडरिंग का पूरा मसौदा तैयार कर लिया है। एक बार आयोग की राय मिलने के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। निजीकरण की प्रक्रिया में 42 जिलों में बिजली डिस्ट्रीब्यूशन की व्यवस्था को पीपीपी मॉडल पर किया जाना है। इसमें दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के सभी जिले शामिल हैं।
7 जुलाई से होनी है सुनवाई
बिजली दर बढ़ोतरी प्रस्ताव पर 7 जुलाई से सुनवाई होनी है। पावर कॉरपोरेशन ने बिजली दरों में 30% तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इसमें शहरी घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 35 से 40%, ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओंकी दरों में 40 से 45%, कमर्शल उपभोक्ताओं की दरों में 20 से 25% और उद्योगों की दरों में 15 से 18% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है।
'यह निजीकरण का नहीं घोटाले है मसौदा'
विद्युत नियामक आयोग से निजीकरण पर सलाह मांगने के लिए जो मसौदा दिया गया है, उसके विरोध में उपभोक्ता परिषद नियामक आयोग पहुंच गया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ये निजीकरण नहीं घोटाले का मसौदा है। निजीकरण के मसौदे को निजी घरानों के लिए फायदेमंद बताते हुए परिषद ने कंसल्टेंट अडवाइजर ग्रांट थॉर्नटन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
परिषद में आयोग से मांग की है कि पूरे मसौदे को सार्वजनिक किया जाए। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने अपने प्रस्ताव में कहा आयोग ने खुद ही बकाया वसूली वितरण हानियां का अनुमोदन टैरिफ प्रस्ताव में दिया है। आरडीएसएस का अनुमोदन देते समय अनेकों मानक बनाएं। मसौदे में यह कैसे लिखा जा सकता है कि दक्षिणांचल व पूर्वाचल के विद्युत उपभोक्ताओं पर जो कुल लगभग 65,909 करोड़ बकाया है। उसमें से 30 से 40% बकाया वसूलना बाध्यकारी होगा, ऐसा न करने पर पेनल्टी लगाई जाएगी।
परिषद ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या बची 60% धनराशि को निजी घराने अपने पास रखेंगे। परिषद ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने के साथ वितरण हानियां घटकर 5 प्रतिशत से कम हो जाएंगी, फिर निजीकरण क्यों किया जा रहा है।
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