भोपाल:भारत के एकमात्र चीता वासस्थान कूनो नेशनल पार्क में एक चीता की मौत के बाद हचचल मच गई है। मध्यप्रदेश के वनविभाग के अफसरों के सामने अब नई चुनौती यह है कि अन्य चीतों को कैसे सुरक्षित रखा जाए। चीतों की वंशवृद्धि पर जोर है, साथ ही शावकों को सुरक्षित रखना चुनौती है। तेंदुओं की संख्या 110 से अधिक है।
जंगली जानवरों से है खतरावहीं, जिले के कूनो में चीते जैसे-तैसे वातावरण के अनुसार ढल रहे थे,इस बीच अब उन्हें अन्य जंगली जानवर से खतरा हो गया है। कूनो नेशनल पार्क में चीतों को तेंदुओं से बड़ा खतरा है। कल ही एक रिपोर्ट आई, जिसमें एक मादा चीता शावक की मौत हुई है। मौत के पीछे के कारण तेंदुए का हमला बताया गया है। वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 24 चीते हैं, जिनमें से 14 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं, इन 14 में से आधे शावक हैं, जिनका जन्म भारत में हुआ है।
वन विभाग के एक अफसर ने नवभारत टाइम्स.कॉम को बताया कि कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता शावक की तेंदुए से हुए संघर्ष में मौत होने की घटना ने चिंता बढ़ा दी है। दरअसल,चीता पुनर्वास परियोजना की शुरुआत के समय ही यह माना गया था कि इस क्षेत्र में चीतों को तेंदुओं से सबसे बड़ा खतरा होगा। आपको बता दें कि करीब 64 वर्ग किमी के बाड़े में हाथी की सहायता से इस इलाके से तेंदुओं को दूर किया गया था। उसके बाद ही यहां चीते यहां बसाए गए थे।
सतर्क हुआ प्रबंधन
अभी खुले जंगल में ज्वाला, आशा व गामिनी चीता अपने शावकों के साथ घूम रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये शावक भी अकेले जंगल में आगे निकलने लगे हैं। प्रबंधन सचेत हो गया है कि तेंदुओं की मौजूदगी वाले क्षेत्रों से जल्द से जल्द शावकों को निकाल कर वापस उन्हें मां के आसपास पहुंचाया जाए। गौरतलब है कि ज्वाला के जिस 20 माह की मादा चीता शावक की तेंदुए के हमले में मौत हुई है, उसमें सामने आया है कि वह मां व भाइयों से अलग होकर दूर पहुंच गई थी। यहीं पर अकेला देखकर तेंदुए से उसका आमना-सामना हो गया।
चिंता क्यों हैं चीते
कूनो नेशलन पार्क में 110 तेंदुए हैं। ऐसे में हर 100 किलोमीटर की परिधि में 10 तेंदुए होने का अनुमान है। यह तेंदुए मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी के क्षेत्रों तक पहुंच गए, जो रहवासी क्षेत्रों से खदेड़े जाने के बाद वापस कूनो की ओर जा रहे हैं।
बढ़ रहा कुनबा
कूनो पार्क से मंदसौर स्थित गांधीसागर अभयारण्य भेजे गए नर चीता प्रभाष व पावक के पास बुधवार को मादा धीरा को भेजा गया है। कूनो में प्रभाष के संपर्क से वीरा चीता चार व पावक से गामिनी चीता छह शावकों को जन्म दे चुकी है, जो स्वस्थ हैं। कुछ समय तक धीरा को बाड़े में रखने के बाद पावक-प्रभाष के पास छोड़ा जाएगा। धीरा ने अभी किसी शावक को जन्म नहीं दिया है।
जंगली जानवरों से है खतरावहीं, जिले के कूनो में चीते जैसे-तैसे वातावरण के अनुसार ढल रहे थे,इस बीच अब उन्हें अन्य जंगली जानवर से खतरा हो गया है। कूनो नेशनल पार्क में चीतों को तेंदुओं से बड़ा खतरा है। कल ही एक रिपोर्ट आई, जिसमें एक मादा चीता शावक की मौत हुई है। मौत के पीछे के कारण तेंदुए का हमला बताया गया है। वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में 24 चीते हैं, जिनमें से 14 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं, इन 14 में से आधे शावक हैं, जिनका जन्म भारत में हुआ है।
वन विभाग के एक अफसर ने नवभारत टाइम्स.कॉम को बताया कि कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता शावक की तेंदुए से हुए संघर्ष में मौत होने की घटना ने चिंता बढ़ा दी है। दरअसल,चीता पुनर्वास परियोजना की शुरुआत के समय ही यह माना गया था कि इस क्षेत्र में चीतों को तेंदुओं से सबसे बड़ा खतरा होगा। आपको बता दें कि करीब 64 वर्ग किमी के बाड़े में हाथी की सहायता से इस इलाके से तेंदुओं को दूर किया गया था। उसके बाद ही यहां चीते यहां बसाए गए थे।
सतर्क हुआ प्रबंधन
अभी खुले जंगल में ज्वाला, आशा व गामिनी चीता अपने शावकों के साथ घूम रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ ये शावक भी अकेले जंगल में आगे निकलने लगे हैं। प्रबंधन सचेत हो गया है कि तेंदुओं की मौजूदगी वाले क्षेत्रों से जल्द से जल्द शावकों को निकाल कर वापस उन्हें मां के आसपास पहुंचाया जाए। गौरतलब है कि ज्वाला के जिस 20 माह की मादा चीता शावक की तेंदुए के हमले में मौत हुई है, उसमें सामने आया है कि वह मां व भाइयों से अलग होकर दूर पहुंच गई थी। यहीं पर अकेला देखकर तेंदुए से उसका आमना-सामना हो गया।
चिंता क्यों हैं चीते
कूनो नेशलन पार्क में 110 तेंदुए हैं। ऐसे में हर 100 किलोमीटर की परिधि में 10 तेंदुए होने का अनुमान है। यह तेंदुए मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी के क्षेत्रों तक पहुंच गए, जो रहवासी क्षेत्रों से खदेड़े जाने के बाद वापस कूनो की ओर जा रहे हैं।
बढ़ रहा कुनबा
कूनो पार्क से मंदसौर स्थित गांधीसागर अभयारण्य भेजे गए नर चीता प्रभाष व पावक के पास बुधवार को मादा धीरा को भेजा गया है। कूनो में प्रभाष के संपर्क से वीरा चीता चार व पावक से गामिनी चीता छह शावकों को जन्म दे चुकी है, जो स्वस्थ हैं। कुछ समय तक धीरा को बाड़े में रखने के बाद पावक-प्रभाष के पास छोड़ा जाएगा। धीरा ने अभी किसी शावक को जन्म नहीं दिया है।
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