US Education System: अमेरिका का एजुकेशन सिस्टम इन दिनों काफी ज्यादा चरमराने लगा है। इसकी एक मुख्य वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार है, जिसने कई सारे विभागों में बड़े पैमाने पर छंटनी की है। सबसे लेटेस्ट छंटनी अमेरिका के एजुकेशन डिपार्टमेंट यानी शिक्षा मंत्रालय में की गई है। डोनाल्ड ट्रंप के सरकार संभालने के बाद यहां पर आधे के करीब कर्मचारियों को निकाल दिया गया है। 4000 हजार के करीब कर्मचारियों वाले डिपार्टमेंट से 1300 से ज्यादा लोगों की छंटनी की गई है।
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यही वजह है कि अब इसका असर अमेरिका के एजुकेशन सेक्टर पर भी पड़ने लगा है। एजुकेशन डिपार्टमेंट ही तय करता है कि किसे हायर एजुकेशन हासिल करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी और किस तरह सिविल राइट्स लॉ को लागू किया जाएगा। रिसर्च से लेकर छात्रों के मूल्यांकन तक के काम को देखने का जिम्मा एजुकेशन डिपार्टमेंट के पास ही है। यही वजह है कि अब बड़े पैमाने पर छात्र और शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में आइए डिपार्टमेंट में हुई छंटनी का असर जानते हैं।
एजुकेशन डिपार्टमेंट में छंटनी का असर
कॉलेज फंडिंग और छात्रों की वित्तीय सहायता पर असर: एजुकेशन डिपार्टमेंट सालाना 224 बिलियन डॉलर से अधिक पैसा बांटता है। इसमें से 70 प्रतिशत से अधिक संघीय छात्र सहायता के लिए है। इसमें लगभग 90 बिलियन डॉलर के नए लोन और 39 बिलियन डॉलर के पेल ग्रांट शामिल हैं, जो कम आय वाले छात्रों को दिए जाते हैं और उन्हें इसे चुकाने की जरूरत नहीं होती है। छंटनी की वजह से 'ऑफिस ऑफ फेडरल स्टूडेंट एड' में लोगों की कमी हुई है, जिससे डिपार्टमेंट ठीक ढंग से कॉलेजों और छात्रों तक पैसा नहीं पहुंचा पा रहा है।
सिविल राइट्स लागू करने में दिक्कत: एजुकेशन डिपार्टमेंट के 'ऑफिस फॉर सिविल राइट्स' में भी महत्वपूर्ण कटौती आई है। इसके 12 में से सात ऑफिस बंद हो चुके हैं। ये ऑफिस जाति, लिंग, विकलांगता और यौन रुझान के आधार पर छात्रों को प्रभावित करने वाले भेदभाव-विरोधी कानूनों को लागू करता है। विभाग ने यहूदी विरोधी, लिंग नीतियों और नस्लीय समानता जैसे मुद्दों पर कॉलेजों और के-12 स्कूलों में जांच की है। हालांकि, अब छंटनी के चलते इस विभाग का काम भी प्रभावित हुआ है और वह बड़े पैमाने पर जांच नहीं कर पा रहा है।
रिसर्च सेक्टर पर असर: एजुकेशनल रिसर्च और स्टूडेंट टेस्टिंग जैसे काम भी छंटनी की वजह से प्रभावित हुए हैं। 'नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशन स्टैटिक्स' का काम छात्रों की उपलब्धियों को ट्रैक करना और अमेरिकी छात्रों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साथियों से तुलना करना है। हाल ही में इसके मुखिया पेगी कैर को जॉब से हाथ धोना पड़ा। यहां कई और लोगों को निकाला गया। इन कटौतियों ने सरकार की देश भर में शिक्षा परिणामों का आकलन और सुधार करने की क्षमता को सीमित कर दिया है। रिसर्च सेक्टर पर भी बड़ा असर दिख रहा है।
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यही वजह है कि अब इसका असर अमेरिका के एजुकेशन सेक्टर पर भी पड़ने लगा है। एजुकेशन डिपार्टमेंट ही तय करता है कि किसे हायर एजुकेशन हासिल करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी और किस तरह सिविल राइट्स लॉ को लागू किया जाएगा। रिसर्च से लेकर छात्रों के मूल्यांकन तक के काम को देखने का जिम्मा एजुकेशन डिपार्टमेंट के पास ही है। यही वजह है कि अब बड़े पैमाने पर छात्र और शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में आइए डिपार्टमेंट में हुई छंटनी का असर जानते हैं।
एजुकेशन डिपार्टमेंट में छंटनी का असर
कॉलेज फंडिंग और छात्रों की वित्तीय सहायता पर असर: एजुकेशन डिपार्टमेंट सालाना 224 बिलियन डॉलर से अधिक पैसा बांटता है। इसमें से 70 प्रतिशत से अधिक संघीय छात्र सहायता के लिए है। इसमें लगभग 90 बिलियन डॉलर के नए लोन और 39 बिलियन डॉलर के पेल ग्रांट शामिल हैं, जो कम आय वाले छात्रों को दिए जाते हैं और उन्हें इसे चुकाने की जरूरत नहीं होती है। छंटनी की वजह से 'ऑफिस ऑफ फेडरल स्टूडेंट एड' में लोगों की कमी हुई है, जिससे डिपार्टमेंट ठीक ढंग से कॉलेजों और छात्रों तक पैसा नहीं पहुंचा पा रहा है।
सिविल राइट्स लागू करने में दिक्कत: एजुकेशन डिपार्टमेंट के 'ऑफिस फॉर सिविल राइट्स' में भी महत्वपूर्ण कटौती आई है। इसके 12 में से सात ऑफिस बंद हो चुके हैं। ये ऑफिस जाति, लिंग, विकलांगता और यौन रुझान के आधार पर छात्रों को प्रभावित करने वाले भेदभाव-विरोधी कानूनों को लागू करता है। विभाग ने यहूदी विरोधी, लिंग नीतियों और नस्लीय समानता जैसे मुद्दों पर कॉलेजों और के-12 स्कूलों में जांच की है। हालांकि, अब छंटनी के चलते इस विभाग का काम भी प्रभावित हुआ है और वह बड़े पैमाने पर जांच नहीं कर पा रहा है।
रिसर्च सेक्टर पर असर: एजुकेशनल रिसर्च और स्टूडेंट टेस्टिंग जैसे काम भी छंटनी की वजह से प्रभावित हुए हैं। 'नेशनल सेंटर फॉर एजुकेशन स्टैटिक्स' का काम छात्रों की उपलब्धियों को ट्रैक करना और अमेरिकी छात्रों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साथियों से तुलना करना है। हाल ही में इसके मुखिया पेगी कैर को जॉब से हाथ धोना पड़ा। यहां कई और लोगों को निकाला गया। इन कटौतियों ने सरकार की देश भर में शिक्षा परिणामों का आकलन और सुधार करने की क्षमता को सीमित कर दिया है। रिसर्च सेक्टर पर भी बड़ा असर दिख रहा है।
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