मुजफ्फरपुर: आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान में किए गए भारती सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर शहीदों के परिवारों में खुशी का माहौल है। मुजफ्फरपुर के उन परिवारों ने, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने जांबाज़ बेटों को खोया था, ऑपरेशन सिंदूर को एक सुकून देने वाला जवाब बताया है। शहीद सुनील कुमार और प्रमोद के परिजनों का कहना है कि इस सैन्य कार्रवाई ने उनके जख्मों पर मरहम लगाया है। 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए इन जवानों की कुर्बानी को अब न्याय मिलता दिख रहा है। मीना देवी: 'मेरा सिंदूर मिटाने वालों से बदला लिया गया'शहीद सुनील कुमार की पत्नी मीना देवी ने गर्व से कहा, 'मेरा सिंदूर मिटाने वालों से बदला ले लिया गया। यह हमारे दर्द पर मरहम है।' ऑपरेशन सिंदूर ने उन्हें मानसिक रूप से राहत दी है। उन्होंने महसूस किया कि उनके पति की शहादत बेकार नहीं गई। उनके बेटे विवेक ने भी यही भावना जाहिर की, 'इस बार हमारी वीर सेना बदला पूरा करेगी। हम पीठ पीछे वार करने वालों में नहीं हैं।' 84 वर्षीय मां का गर्व और सुकूनशहीद प्रमोद की मां दौलती देवी ने ऑपरेशन सिंदूर को देखकर भावुक होते हुए कहा, 'आज मेरा बेटा जहां कहीं भी होगा, भारत माता की जय बोल रहा होगा।' उन्होंने बताया कि प्रमोद सिर्फ 22 साल के थे जब वे देश के लिए शहीद हुए। उनका शव 38 दिन तक बर्फ में दबा रहा। बावजूद इसके, आज उन्हें तसल्ली है कि देश ने उनके बलिदान को याद रखा और आतंकियों को सजा दी। शांति की इच्छा, लेकिन जवाब में सख्तीशहीद प्रमोद के भाई दिलीप का कहना है, 'हम शांति चाहते हैं, लेकिन कोई हमें परेशान करेगा तो बर्दाश्त नहीं करेंगे।' ऑपरेशन सिंदूर न केवल आतंकवादियों को सख्त संदेश है, बल्कि यह भारत की सैन्य क्षमता और संकल्प को भी दर्शाता है। सेना की बहादुरी और देश की ताकत का प्रतीकऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया है कि भारत न सिर्फ अपने नागरिकों की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का माद्दा भी रखता है। यह अभियान सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देशवासियों के आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक बन गया है।
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