बीते दिनों इस बाघिन की कुछ तस्वीरें सामने आई थीं जिसमें वह बेहद कमजोर होने के बाद भी मगरमच्छ का शिकार करती नजर आई थी। लेकिन अब उसकी वो तस्वीरें सामने आई हैं, जो उसके जीवन के अंतिम समय को दिखा रही हैं।
हर कदम भारी, हर सांस थकी हुई
जाने-माने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सचिन राय (@sachin_rai_photography) ने एरोहेड को उसकी मौत से दो दिन पहले देखा था। राय ने इंस्टाग्राम पर बताया- 17 जून की शाम पदम तालाब के किनारे मैंने रणथंभौर की लीजेंड कही जाने वाली बाघिन 'एरोहेड' को शायद आखिरी बार चलते हुए देखा। वह वही इलाका था, जिस पर उसने सालों तक अपनी शान और शक्ति से राज किया।
उसे इस हालत में देखना दिल तोड़ने वाला था। वो उठने की कोशिश करती, दो-चार थके कदम बढ़ाती और फिर वहीं गिर पड़ती। हर एक कदम जैसे भारी पड़ रहा था। थोड़ी दूर जाकर वो एक पेड़ के नीचे लेट गई। उस खामोश पल में, मुझे एहसास हो गया था... अब बस एक-दो दिन की बात है।
क्या है बाघिन की कहानी?
मैंने एरोहेड की जिंदगी को बहुत करीब से देखा है। तब से, जब वो एक नन्ही सी शावक थी। अपनी मां का इलाका जीतकर ताकतवर बाघिन बनना, उसके हर दौर को मैंने देखा। उसकी दूसरी संतानों में से एक 'रिद्धि', जिसने आगे चलकर एरोहेड को उसी इलाके से बेदखल कर दिया। उसने भी उसकी आंखों के सामने जन्म लिया था। यह प्रकृति का ही चक्र था, जो उसी के सामने पूरा हुआ।
मैंने उसे नए नर बाघों जैसे T-120 का सामना करते देखा और तब भी देखा जब उसने अपनी तीसरी संतानें खो दीं। फिर भी, उसने चौथी बार मां बनने की हिम्मत दिखाई, तब भी जब उसकी ही बेटी रिद्धि उस पर दबाव बना रही थी। एरोहेड ने एक पूरी जिंदगी जी... स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और निडर होकर एक सच्ची बाघिन की तरह।
19 जून को ली अंतिम सांस
हम इंसानों ने उसे कई बार मदद देने की कोशिश की, खासकर तब जब उसकी हालत बिगड़ने लगी थी। दूसरी बार जब वो मां बनी, तब भी हमने उसकी सहायता की। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि हमारी कोशिशों से उसके तीनों शावकों को वाकई फायदा हुआ या नहीं। क्योंकि प्रकृति अपना रास्ता खुद तय करती है।19 जून को एरोहेड ने आखिरी सांस ली। लेकिन एक बात बिल्कुल तय है। उसने जो विरासत छोड़ी है, वो अमिट है। वो जंगल की शान थी, वो शक्ति का प्रतीक थी, जिसमें धैर्य भी था। वो हर मुश्किल से लड़ी और हर हार को ठुकराया। रणथंभौर शायद फिर कभी ऐसा जज्बा न देख पाए। एरोहेड अब नहीं रही, लेकिन उसकी कहानी… हमेशा जिंदा रहेगी।
आखिर दिनों में किया था मगरमच्छ का शिकारवहीं वाइल्डलाइफ प्रेमी सुर्या सदाशिवन ने बताया- मैंने एरोहेड को उसके टीनएज के दिनों से देखा है। उसमें कुछ अलग ही जादू था। वह असली जंगली बाघिन की मिसाल थी- निडर, खूबसूरत और आखिरी दम तक मजबूत। यहां तक कि अपनी अंतिम अवस्था में भी, उसने एक मगरमच्छ का शिकार किया। उसकी ताकत और जज्बे की मिसाल!
गौरतलब है कि एरोहेड, मशहूर बाघिन 'कृष्णा' की बेटी और 'मछली' की पोती थी। दोनों ही रणथंभौर की दिग्गज बाघिनें। लेकिन एरोहेड ने अपनी अलग पहचान बनाई- स्वतंत्र, जिद्दी और यादगार।
सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि
एरोहेड की मौत पर सोशल मीडिया भावुक हो उठा। किसी ने लिखा- आराम करो, रानी। तो किसी ने कहा- दिल टूट गया। सुर्या सदाशिवन ने लिखा - मैं चाहता था कि उसे एक बार और देख पाता, लेकिन उसकी यादें हमेशा साथ रहेंगी। एरोहेड एक लीजेंड थी- उसकी खूबसूरती, उसकी हिम्मत और उसकी विरासत जंगल में और हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी। अब जंगल में एक सन्नाटा है, लेकिन कहीं न कहीं, उसकी संतानों के कदमों की आहट बाकी है और उसकी कहानी चलती रहेगी।
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