नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े 'कैश इन कोठी' मामले में एक नया मोड़ आया है। जांच कर रही जजों की कमेटी को एक तस्वीर में एक संदिग्ध व्यक्ति दिखा है। यह तस्वीर 15 मार्च की सुबह की है। तस्वीर में आग बुझाने वाले लोग नोटों की अधजली बोरियों के पास खड़े हैं। उसी तस्वीर में एक आदमी चेक वाली शर्ट पहने हुए दिखाई दे रहा है।
कमेटी को शक है कि क्या यह आदमी जस्टिस वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजिंदर सिंह कार्की और स्टाफ के सदस्य मोहम्मद राहिल, बबलू और हनुमान के साथ मिलकर नोटों को हटाने में शामिल था। आशंका है कि 1 बजे से 7 बजे के बीच इस आदमी ने नोटों को ठिकाने लगाया।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फोटो में एक फायरमैन स्टोर के प्रवेश द्वार पर टॉर्च लेकर खड़ा है और वीडियो भी बना रहा है। उस समय मलबा स्टोर के पीछे की तरफ रखा हुआ है और दाईं ओर एक अज्ञात व्यक्ति भी खड़ा है।
इसका मतलब है कि कमेटी को उस अज्ञात व्यक्ति पर संदेह है जो तस्वीर में दिख रहा है। अब यह देखना होगा कि जांच में आगे क्या निकलता है। क्या यह आदमी वाकई में नोटों को हटाने में शामिल था? या फिर वह सिर्फ एक राहगीर था? इन सवालों के जवाब जाँच के बाद ही मिल पाएंगे।
जांच कमेटी ने क्या कहा?
बता दें कि जांच के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनु शिवरामन की एक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने एक घटना के बारे में जानकारी दी है। यह घटना जस्टिस वर्मा के तुगलक क्रीसेंट स्थित बंगले के स्टोररूम में आग लगने से जुड़ी है। समिति ने बताया कि जब आग लगी, तब जस्टिस वर्मा की बेटी, उनकी बीमार मां (जिनसे समिति ने पूछताछ नहीं की), कार्की और कुछ भरोसेमंद नौकर बंगले में मौजूद थे।
समिति के अनुसार, इन सभी लोगों ने गुमराह करने वाले बयान दिए। समिति को जस्टिस वर्मा के घर में भारी मात्रा में अवैध नकदी होने के पुख्ता सबूत मिले थे। इसके बावजूद, इन लोगों ने लगातार नकदी होने से इनकार किया। यहां तक कि जब उन्हें फोरेंसिक लैब से प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक सबूत और वीडियो दिखाए गए, तब भी वे अपनी बात से नहीं पलटे।
गवाह नंबर 54 के तौर पर थी जस्टिस वर्मा की बेटी
जस्टिस वर्मा की बेटी को गवाह नंबर 54 के तौर पर जांचा गया। वह अपने परिवार की एकमात्र सदस्य थीं (जस्टिस वर्मा की मां को छोड़कर) जो आग लगने के समय घर पर मौजूद थीं। यशवंत वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह कार्की, जस्टिस वर्मा की बेटी और तीनों घरेलू कर्मचारियों ने स्टोररूम के अंदर जली हुई नकदी देखने से इनकार किया। समिति ने कहा कि उनके इस बयान पर 'बिना संदेह के विश्वास नहीं किया जा सकता'।
कमिटी ने किए कई और चौकाने वाले खुलासे
समिति ने बताया कि जस्टिस वर्मा ने घरेलू कर्मचारियों को कैसे भर्ती किया और उनका उनके साथ कितना लंबा संबंध था। समिति ने यह भी कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कर्मचारियों ने सब कुछ नकार दिया और सबूतों का सामना करने पर वे विरोधाभासी बातें करने लगे।
समिति ने 14 मार्च की रात को हुई आग की घटना के दौरान जस्टिस वर्मा की बेटी के व्यवहार और उनके बयानों पर विशेष ध्यान दिया। जब उन्हें स्टोररूम में जली हुई नकदी का वीडियो दिखाया गया, तो समिति ने कहा कि उन्होंने एक बेतुका स्पष्टीकरण दिया कि वह कमरा किसी अन्य स्थान पर कोई दूसरा कमरा हो सकता है। समिति ने यह भी कहा कि उन्होंने वीडियो में स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही कार्की की आवाज को पहचानने से भी इनकार कर दिया।
कार्की ने माना की यह उसकी आवाज
समिति ने कहा कि इससे पता चलता है कि वह इस तथ्य को छिपा रही है, क्योंकि यशवंत वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह कार्की ने खुद माना है कि यह उसकी आवाज है। दिलचस्प बात यह है कि कार्की ने समिति को बताया था कि उन्हें घटना के 6-7 दिन बाद इसके बारे में पता चला। इसका मतलब है कि कार्की को आग लगने के तुरंत बाद इस बारे में जानकारी नहीं थी।
कमेटी को शक है कि क्या यह आदमी जस्टिस वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजिंदर सिंह कार्की और स्टाफ के सदस्य मोहम्मद राहिल, बबलू और हनुमान के साथ मिलकर नोटों को हटाने में शामिल था। आशंका है कि 1 बजे से 7 बजे के बीच इस आदमी ने नोटों को ठिकाने लगाया।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फोटो में एक फायरमैन स्टोर के प्रवेश द्वार पर टॉर्च लेकर खड़ा है और वीडियो भी बना रहा है। उस समय मलबा स्टोर के पीछे की तरफ रखा हुआ है और दाईं ओर एक अज्ञात व्यक्ति भी खड़ा है।
इसका मतलब है कि कमेटी को उस अज्ञात व्यक्ति पर संदेह है जो तस्वीर में दिख रहा है। अब यह देखना होगा कि जांच में आगे क्या निकलता है। क्या यह आदमी वाकई में नोटों को हटाने में शामिल था? या फिर वह सिर्फ एक राहगीर था? इन सवालों के जवाब जाँच के बाद ही मिल पाएंगे।
जांच कमेटी ने क्या कहा?
बता दें कि जांच के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश जी. एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनु शिवरामन की एक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने एक घटना के बारे में जानकारी दी है। यह घटना जस्टिस वर्मा के तुगलक क्रीसेंट स्थित बंगले के स्टोररूम में आग लगने से जुड़ी है। समिति ने बताया कि जब आग लगी, तब जस्टिस वर्मा की बेटी, उनकी बीमार मां (जिनसे समिति ने पूछताछ नहीं की), कार्की और कुछ भरोसेमंद नौकर बंगले में मौजूद थे।
समिति के अनुसार, इन सभी लोगों ने गुमराह करने वाले बयान दिए। समिति को जस्टिस वर्मा के घर में भारी मात्रा में अवैध नकदी होने के पुख्ता सबूत मिले थे। इसके बावजूद, इन लोगों ने लगातार नकदी होने से इनकार किया। यहां तक कि जब उन्हें फोरेंसिक लैब से प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक सबूत और वीडियो दिखाए गए, तब भी वे अपनी बात से नहीं पलटे।
गवाह नंबर 54 के तौर पर थी जस्टिस वर्मा की बेटी
जस्टिस वर्मा की बेटी को गवाह नंबर 54 के तौर पर जांचा गया। वह अपने परिवार की एकमात्र सदस्य थीं (जस्टिस वर्मा की मां को छोड़कर) जो आग लगने के समय घर पर मौजूद थीं। यशवंत वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह कार्की, जस्टिस वर्मा की बेटी और तीनों घरेलू कर्मचारियों ने स्टोररूम के अंदर जली हुई नकदी देखने से इनकार किया। समिति ने कहा कि उनके इस बयान पर 'बिना संदेह के विश्वास नहीं किया जा सकता'।
कमिटी ने किए कई और चौकाने वाले खुलासे
समिति ने बताया कि जस्टिस वर्मा ने घरेलू कर्मचारियों को कैसे भर्ती किया और उनका उनके साथ कितना लंबा संबंध था। समिति ने यह भी कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कर्मचारियों ने सब कुछ नकार दिया और सबूतों का सामना करने पर वे विरोधाभासी बातें करने लगे।
समिति ने 14 मार्च की रात को हुई आग की घटना के दौरान जस्टिस वर्मा की बेटी के व्यवहार और उनके बयानों पर विशेष ध्यान दिया। जब उन्हें स्टोररूम में जली हुई नकदी का वीडियो दिखाया गया, तो समिति ने कहा कि उन्होंने एक बेतुका स्पष्टीकरण दिया कि वह कमरा किसी अन्य स्थान पर कोई दूसरा कमरा हो सकता है। समिति ने यह भी कहा कि उन्होंने वीडियो में स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही कार्की की आवाज को पहचानने से भी इनकार कर दिया।
कार्की ने माना की यह उसकी आवाज
समिति ने कहा कि इससे पता चलता है कि वह इस तथ्य को छिपा रही है, क्योंकि यशवंत वर्मा के प्राइवेट सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह कार्की ने खुद माना है कि यह उसकी आवाज है। दिलचस्प बात यह है कि कार्की ने समिति को बताया था कि उन्हें घटना के 6-7 दिन बाद इसके बारे में पता चला। इसका मतलब है कि कार्की को आग लगने के तुरंत बाद इस बारे में जानकारी नहीं थी।
You may also like
नेपाल के संसद से पारित ऊर्जा विधेयक को कैबिनेट ने वापस लेने का लिया निर्णय, भारत को लक्षित कर निर्णय लिए जाने की आशंका
मुरादाबाद में हुई बारिश से बदला मौसम का मिजाज, गर्मी झेल रहे लोगों ने ली राहत की सांस
उज्जैन: क्षिप्रा नदी में डूब रहे युवक को जीवित बचाया
मुंबई ब्लास्ट के आरोपी को एक दिन की मिली पेरोल
CSIR NET जून 2025: आवेदन का आखिरी मौका, 23 जून से पहले करें अप्लाई