International Students in USA: अमेरिका में इन दिनों विदेशी छात्रों के खिलाफ माहौल बना हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों में एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी है, जो चाहता है कि विदेशी छात्रों की संख्या कम की जाए। हालांकि, अब यहां सवाल उठता है कि अगर अमेरिका में विदेशी छात्र जाना बंद कर दें तो क्या होगा? क्या अमेरिकी एजुकेशन सिस्टम पर कोई प्रभाव पड़ेगा? कुछ आंकड़ों के जरिए ये पता चलता है कि विदेशी छात्रों के बिना अमेरिकी कॉलेजों का बुरा हाल हो सकता है।
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नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) ने एक स्टडी में पाया कि आप्रवासियों, विदेशी छात्रों और आप्रवासियों के बच्चों के बिना अमेरिकी कॉलेजों-यूनिवर्सिटीज पर बड़ा असर पड़ेगा। इन संस्थानों की जॉब्स और अमेरिकी छात्रों को मिलने वाली एजुकेशन भी प्रभावित होगी। इनके बिना अमेरिका में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की जनसंख्या 2022 की तुलना में 2037 में लगभग 50 लाख कम होगी, या अपने वर्तमान आकार का लगभग दो-तिहाई होगी। पोस्टग्रेजुएट छात्रों की जनसंख्या भी 11 लाख कम हो जाएगी।
विदेशी छात्रों के बिना हायर एजुकेशन का क्या होगा?
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नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) ने एक स्टडी में पाया कि आप्रवासियों, विदेशी छात्रों और आप्रवासियों के बच्चों के बिना अमेरिकी कॉलेजों-यूनिवर्सिटीज पर बड़ा असर पड़ेगा। इन संस्थानों की जॉब्स और अमेरिकी छात्रों को मिलने वाली एजुकेशन भी प्रभावित होगी। इनके बिना अमेरिका में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की जनसंख्या 2022 की तुलना में 2037 में लगभग 50 लाख कम होगी, या अपने वर्तमान आकार का लगभग दो-तिहाई होगी। पोस्टग्रेजुएट छात्रों की जनसंख्या भी 11 लाख कम हो जाएगी।
विदेशी छात्रों के बिना हायर एजुकेशन का क्या होगा?
- अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्रों के बिना अमेरिका में कई सारे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज के हालात बेहद खराब हो जाएंगे। सबसे ज्यादा परेशानी उन संस्थानों को होने वाली है, जो इस वक्त अमेरिका के उस इलाके में स्थित हैं, जहां जनसांख्यिकीय गिरावट हो रही है।
- विदेशी छात्रों के बिना कई सारे कॉलेज-यूनिवर्सिटी बंद हो जाएंगे। इस वजह से अमेरिकी छात्रों के लिए भी पढ़ाई के कम ऑप्शन होंगे। बहुत से राज्यों और कस्बों में एजुकेशन सेक्टर्स की जॉब कम हो जाएंगी। अमेरिका में कॉलेज डिग्री के साथ काम करने वाले वर्कर्स की संख्या भी घटेगी।
- NFAP की रिपोर्ट में बताया गया है कि विदेशी छात्रों के बिना 2025-2037 तक टोटल अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट दाखिला 2% कम हो जाएगा। पोस्टग्रेजुएशन छात्रों की संख्या में तो करीब 11% की गिरावट देखी जाएगी।
- अगर अमेरिका में रहने वाले आप्रवासी देश छोड़कर चले जाएं, तो अंडरग्रेजुएट छात्रों की संख्या 6.6% और पोस्टग्रेजुएट छात्रों की संख्या 12% तक घट जाएगी। अगर अप्रवासियों के बच्चे कॉलेज-यूनिवर्सिटी जाना छोड़ दें, तो 2025-2037 तक अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स 23% और पोस्टग्रेजुएट एडमिशन 16% घट जाएगा।
- सरकारी यूनिवर्सिटी की फंडिंग कम कर दी गई है। इस वजह से वे विदेशी छात्रों के भरोसे चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें उनसे ज्यादा ट्यूशन फीस मिलती है। लेकिन विदेशी छात्रों के बिना उनकी आय कम हो जाएगी और कई सारे प्रोग्राम बंद करने पड़ेंगे। सबसे ज्यादा प्रभाव मास्टर्स कोर्सेज पर पड़ेगा।
- विदेशी छात्र अमेरिका की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देते हैं। वेंचर कैपिटल फंडिंग हासिल करने वाली अमेरिकी कंपनियों की स्थापना करने वाले 75% आप्रवासी अमेरिकी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं। पेटेंट और प्रकाशनों के आधार पर विदेशी छात्र अमेरिकी इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं।
- विदेशी छात्र बड़ी संख्या में जॉब भी करते हैं, खासतौर पर टेक सेक्टर में। 23% विदेशी छात्र ऐसे हैं, जिन्होंने अमेरिका के जिस राज्य से डिग्री ली, वहीं रुककर जॉब भी की है। जिस राज्य की यूनिवर्सिटी से डिग्री ली, वहीं रहकर जॉब करने वाले अंडरग्रेजुएट छात्रों की 8% है। बिना विदेशी छात्रों के कई राज्यों की अर्थव्यवस्था भी हिल जाएगी।
- अमेरिका में 'साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स' यानी STEM डिग्री हासिल करने में सबसे आगे विदेशी छात्र रहते हैं। अगर उन्हें यहां आने से रोका जाता है, तो STEM फील्ड में अमेरिका बुरी तरह पिछड़ जाएगा। ज्यादातर डॉक्टर्स भी विदेशी मूल के हैं।
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