अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के फैसले का भारत में कोई खास असर नहीं होगा। इसकी वजह है कि भारतीय ऑटो पार्ट्स निर्यातकों के पास पर्याप्त पैसा है। आईसीआरए की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑटो कंपोनेंट एक्सपोर्टर्स के पास कर्ज चुकाने और रोजमर्रा के खर्चों के लिए पर्याप्त पैसे हैं। हालांकि, इससे उनके मुनाफे पर थोड़ा असर पड़ सकता है और उन्हें वर्किंग कैपिटल की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री की ज्यादातर कमाई घरेलू बाजार से होती है। अमेरिकी बाजार का हिस्सा कुल आय का केवल 8 फीसदी है। घरेलू बाजार पर निर्भरता ज्यादाआईसीआरए की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री मजबूत स्थिति में है। वित्त वर्ष 24 में इस इंडस्ट्री की 70 प्रतिशत आय भारत से ही आई थी। अमेरिका का हिस्सा केवल 8 फीसदी था। इसका मतलब है कि अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है तो भी भारतीय ऑटो पार्ट्स निर्यातकों पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वित्त वर्ष 2020 से 2024 तक अमेरिका को ऑटो कंपोनेंट के निर्यात में हर साल 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
ग्लोबल ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) अब अलग-अलग वेंडरों से सामान खरीद रहे हैं। इससे भारतीय ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर को फायदा हुआ है। वे नए प्लेटफॉर्म्स को ज्यादा सप्लाई कर रहे हैं और हाई वैल्यू वाले प्रोडक्ट बना रहे हैं। ‘कॉम्पिटिशन और कंपोनेंट पर डिपेंड करेगा’आईसीआरए लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शमशेर दीवान का कहना है कि ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स ने कहा है कि वे बढ़ती लागत का ज्यादातर हिस्सा ग्राहकों से लेंगे। इसका मतलब है कि वे टैरिफ बढ़ने के कारण होने वाले नुकसान को ग्राहकों से वसूलेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सप्लायर कितना मजबूत है, बाजार में उसकी कितनी हिस्सेदारी है, प्रतिस्पर्धा कितनी है और कंपोनेंट कितना खास है। मुनाफे में कमी आ सकती हैदीवान ने आगे कहा कि अगर बढ़ी हुई टैरिफ लागत का औसतन 30-50 फीसदी भारतीय ऑटो कंपोनेंट निर्यातकों द्वारा वहन किया जाता है, तो हमारा अनुमान है कि इससे लगभग 2,700-4,500 करोड़ रुपये की आय प्रभावित होगी। इसका मतलब है कि ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के मुनाफे में 3-6 फीसदी और ऑटो कंपोनेंट निर्यातकों के मुनाफे में 10-15 फीसदी की कमी आ सकती है।
ये था ट्रंप का आदेश...आपको बता दें कि अमेरिकी सरकार ने 26 मार्च 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट जैसे ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर 25 फीसदी टैरिफ लगेगा। भारत से निर्यात होने वाले ऑटो कंपोनेंट में से लगभग 65 फीसदी इसी कैटिगरी में आते हैं। आईसीआरए का मानना है कि ग्राहक आसानी से सप्लायर नहीं बदलेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि सप्लायर बदलने में बहुत खर्च आता है और प्रोडक्ट डेवलपमेंट, टेस्टिंग और अप्रूवल में भी काफी समय लगता है।

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