सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ संशोधन कानून 2023 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर करीब साढ़े तीन घंटे से अधिक सुनवाई हुई। जस्टिस बी.आर. गवई और ए.जी. मसीह की पीठ ने मामले को सुना।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन और हुजेफा अहमदी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने कानून को संविधान विरोधी बताया और इसकी अनेक खामियों को उजागर किया।
अब इस मामले में बुधवार को सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जवाब पेश करेंगे।
⚖️ याचिकाकर्ताओं की तरफ से उठाए गए 10 बड़े तर्क:
1️⃣ अनुच्छेद 15 का उल्लंघन
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दान धर्म सभी धर्मों में होते हैं, लेकिन क्या किसी धर्म विशेष के लिए पांच या दस साल तक धर्म का पालन करने का प्रमाण देना न्यायसंगत है?
2️⃣ रजिस्ट्रेशन की जटिलता एक तरह की “क़ानूनी दहशत”
सिंघवी का तर्क था कि वक्फ के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इतनी जटिल बना दी गई है कि यह आम लोगों के लिए भय का कारण बन सकती है।
3️⃣ ‘बाय यूजर वक्फ’ की मान्यता पर खतरा
सिंघवी ने कहा कि इस्तेमाल के आधार पर वक्फ घोषित संपत्तियों को बिना पंजीकरण के अवैध मानना न्यायसंगत नहीं है। इससे वक्फ की संपत्तियां विवादों में फंस सकती हैं।
4️⃣ धार्मिक स्थलों पर प्रभाव
संशोधन का सेक्शन 3D पुरातात्विक स्मारक कानूनों पर भी लागू होता है, जिससे Places of Worship Act के तहत संरक्षित स्थलों की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
5️⃣ धर्मनिरपेक्षता पर सवाल
राजीव धवन ने पूछा कि अगर कोई सिख व्यक्ति वक्फ करना चाहता है, तो क्या नया कानून इसकी अनुमति देता है? उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्ष संविधान की भावना के विरुद्ध बताया।
6️⃣ पहले से मौजूद संवैधानिक फैसलों की अनदेखी
धवन ने कहा कि बाबरी मस्जिद जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट खुद ‘बाय यूजर’ वक्फ की मान्यता दे चुका है। अब नए प्रावधान उसी को पलटने की कोशिश हैं।
7️⃣ संरक्षित मस्जिदों का वक्फ दर्जा समाप्त
कपिल सिब्बल ने एएसआई की वेबसाइट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ मस्जिदें संरक्षित घोषित हो चुकी हैं और अब उनका वक्फ दर्जा खत्म हो गया है, जैसे संभल की जामा मस्जिद।
8️⃣ ‘वक्फ पर कब्जा’ कानून का असली मकसद?
सिब्बल ने आरोप लगाया कि कानून की आड़ में वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना ही असल उद्देश्य है। प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया गया है कि वक्फ को संरक्षण मिलना मुश्किल हो गया है।
9️⃣ वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम बहुमत
सिब्बल ने कहा कि नई धारा 9 के तहत वक्फ परिषद में 12 गैर-मुस्लिम और 10 मुस्लिम सदस्य हैं, जबकि पहले सभी मुस्लिम होते थे। इससे मुस्लिम समुदाय की भागीदारी सीमित हो गई है।
🔟 धर्म की ‘पात्रता जांच’ असंवैधानिक
हुजेफा अहमदी ने सवाल किया कि किसी व्यक्ति की धार्मिक पात्रता कैसे तय की जाएगी?
“क्या कोई पूछेगा कि मैं नमाज़ पढ़ता हूँ या शराब पीता हूँ या नहीं? धर्मनिष्ठा का यह तरीका अपमानजनक और असंवैधानिक है।”
🧾 कल सरकार रखेगी पक्ष
अब बुधवार को सरकार अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वक्फ संशोधन कानून का बचाव करेंगे।
यह भी पढ़ें:
You may also like
Honor X9B: एक किफायती स्मार्टफोन की विस्तृत समीक्षा
गाजियाबाद में मौलवी की गिरफ्तारी: तंत्र-मंत्र के नाम पर धर्म परिवर्तन का मामला
Google I/O 2025: बदल जाएगा गूगल सर्च, लॉन्च हुआ एआई मोड, ChatGPT और Perplexity को टक्कर?
जान्हवी कपूर ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में किया डेब्यू, निर्देशक नीरज घायवान ने आउटफिट के लिए की मदद...
Royal Enfield 250: एक किफायती और स्टाइलिश बाइक का इंतजार