देशभर में लंबे समय से इस बात पर बहस चल रही है कि काम के घंटों को लेकर कोई संतुलित रास्ता निकाला जाना चाहिए, ताकि कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें। इसी बीच तेलंगाना सरकार ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाया है। यह फैसला न केवल कॉर्पोरेट जगत में हलचल मचाने वाला है, बल्कि कामकाजी लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है।
सरकार ने राज्य की कॉमर्शियल इकाइयों—जैसे उद्योग और फैक्ट्रियां—के लिए हर रोज 10 घंटे तक काम की अनुमति दे दी है। वहीं, पूरे सप्ताह में काम के घंटों की सीमा 48 घंटे तय कर दी गई है। 5 जुलाई को जारी हुए इस आदेश से उम्मीद जताई जा रही है कि यह फैसला उत्पादन और रोजगार, दोनों के लिहाज से सकारात्मक साबित होगा। हालांकि, दुकानों और मॉल्स को इस नियम से बाहर रखा गया है, जिससे रिटेल कारोबारियों को थोड़ी राहत मिली है।
मेहनत का पूरा मोल: मिलेगा ओवरटाइम भी
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला व्यापार को सुगम बनाने और श्रमिक हितों को संतुलित करने के मकसद से लिया गया है। श्रम, रोजगार, प्रशिक्षण एवं फैक्ट्री विभाग द्वारा जारी किए गए इस आदेश के अनुसार, प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक काम नहीं किया जा सकेगा। यदि किसी कर्मचारी से तय सीमा से अधिक काम कराया जाता है, तो उसे उसके लिए ओवरटाइम वेतन दिया जाएगा। यह स्पष्ट संकेत है कि सरकार श्रमिकों की मेहनत की कद्र करना चाहती है और उन्हें उनकी मेहनत का वाजिब हक़ भी देना चाहती है।
आधे घंटे का ब्रेक भी अनिवार्य
जहां काम के घंटे बढ़ाए गए हैं, वहीं कर्मचारियों की मानव ज़रूरतों का भी ध्यान रखा गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि किसी कर्मचारी से 6 घंटे से ज्यादा काम कराया जा रहा है, तो उसे कम से कम 30 मिनट का ब्रेक देना अनिवार्य होगा। यानी अब काम के साथ आराम भी सुनिश्चित होगा।
यह आदेश 8 जुलाई से प्रभाव में आ जाएगा और इसे तेलंगाना राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। इससे पहले कंपनियों को नियमों के अनुसार खुद को तैयार करना होगा।
नियमों की अनदेखी तो पड़ेगी भारी
इस फैसले के तहत यह भी साफ किया गया है कि किसी भी तिमाही में 144 घंटे से अधिक ओवरटाइम नहीं कराया जा सकेगा। यदि कोई कंपनी इन शर्तों का पालन नहीं करती है, तो उसे मिलने वाली छूट तत्काल रद्द कर दी जाएगी। यह चेतावनी साफ बताती है कि सरकार इस मामले में कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहती।
वर्कलाइफ बैलेंस पर चल रही बहस के बीच यह फैसला आया अहम
गौर करने वाली बात यह है कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देशभर में वर्कलाइफ बैलेंस को लेकर बहस तेज है। बीते साल इंफोसिस के चेयरमैन एन आर नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिसने तमाम कर्मचारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया था। इसके बाद एल एंड टी के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे वर्क वीक की बात कही, जिस पर जमकर आलोचना हुई।
तेलंगाना सरकार ने इन चर्चाओं के बीच जो फैसला लिया है, वह न केवल कारोबार को सुगम बनाने की कोशिश है, बल्कि श्रमिकों के हितों और उनके स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखने वाला कदम है। उम्मीद है कि यह नीति अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।
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