मुरादाबाद, 23 जून . देश-विदेश की राजनीति को लेकर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने सोमवार को कई अहम मुद्दों पर बयान देते हुए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा ईरान के समर्थन में दिए गए बयान का खुले तौर पर समर्थन किया और इजरायल को आतंकवादी राष्ट्र बताते हुए कहा कि ऐसे देश को दुनिया में रहने का कोई हक नहीं है.
डॉ. हसन ने कहा कि सोनिया गांधी ने जो बात उठाई है, वह बहुत महत्वपूर्ण है. इजरायल ने बिना किसी उकसावे के ईरान में बमबारी की है और इस युद्ध की शुरुआत उसी ने की है. इजरायल ना बच्चों को देखता है, ना महिलाओं को, ना अस्पतालों को और ना ही भूखे-प्यासे लोगों को बख्शता है. ऐसे राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन देना भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए शोभा नहीं देता.
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर भारत सरकार इस मामले में खामोश क्यों है और इजरायल का साथ क्यों दे रही है? डॉ. हसन ने दावा किया कि भारत के गरीब लोग जो इजरायल में काम करने गए थे, उन्हें वहां की फौज में जबरन भर्ती किया गया और उनमें से कुछ की मृत्यु भी हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि हमने इजरायल की गुलामी का कोई पट्टा नहीं लिया है. ईरान हमारा पुराना और भरोसेमंद मित्र रहा है, जिसने कश्मीर के मुद्दे पर भी भारत का साथ दिया है और सस्ते तेल की आपूर्ति की है. यहां तक कि जब युद्ध के दौरान भारतीय फंसे थे, तो ईरान ने अपना एयरबेस खोलकर उन्हें सुरक्षित भारत वापस पहुंचाया था. फिर हम चुप क्यों हैं?
पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को ईरान पर हमला करने के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देने की खबरों पर डॉ. हसन ने पाकिस्तान को बे-भरोसा देश बताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कभी किसी का नहीं हो सकता और ऐसी खबरें हैं कि हमला समुद्र के रास्ते किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की सत्यता पर तो कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले में आतंकियों को पनाह देने वाले दो लोगों की गिरफ्तारी पर बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवादियों को संरक्षण देना भी एक आतंकवादी गतिविधि है. यदि एनआईए ने उन्हें सही तरीके से पकड़ा है तो उन्हें भी वही सजा मिलनी चाहिए जो किसी आतंकी को दी जाती है.
आपातकाल की वर्षगांठ पर बोलते हुए डॉ. हसन ने कहा कि कांग्रेस ने उस दौर के लिए माफी मांगी है और यह सही है कि उस समय लोगों के कानूनी अधिकार छीन लिए गए थे, नेता जेल में डाले गए थे, और जबरन नसबंदी जैसे गंभीर अपराध किए गए थे. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस समय देश में जबरदस्त अनुशासन था. ट्रेनें समय पर चलती थीं, रिश्वतखोरी पर लगाम थी और कानून व्यवस्था सख्त थी. उन्होंने कहा कि आज की स्थिति को देखिए, आज भी एक अघोषित आपातकाल जैसा माहौल है, लोग बोल नहीं सकते, हक की आवाज नहीं उठा सकते और स्वतंत्र एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोगों को जेलों में डाला जा रहा है.
डॉ. हसन ने कहा कि आपातकाल तो एक काला अध्याय था ही, लेकिन उनके अनुसार, 6 दिसंबर 1992 यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस, भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और शर्मनाक दिन था.
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा तीन विधायकों को निष्कासित करने और चार को अल्टीमेटम दिए जाने पर उन्होंने कहा कि जो विधायक पार्टी से सब कुछ लेकर गद्दारी कर रहे हैं, उनका निष्कासन बिल्कुल सही है. उन्होंने कहा कि पार्टी से वफादारी ही सब कुछ है. जो पार्टी के भरोसे विधायक बने और अब दूसरी पार्टियों से मेलजोल कर रहे हैं, उन्हें पार्टी में रहने का कोई अधिकार नहीं है.
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पीएसके/एबीएम
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