श्रीनगर, 6 जुलाई . कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पिछले तीन दिनों में करीब 48,000 श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा की. रविवार को 7,208 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था जम्मू से कश्मीर के लिए रवाना हुआ.
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को 21,000 से अधिक यात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर के दर्शन किए. उन्होंने बताया कि रविवार को 7,208 यात्रियों का एक और जत्था दो सुरक्षा काफिलों में जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से घाटी के लिए रवाना हुआ.
उन्होंने कहा, “पहला सुरक्षा काफिला तीर्थयात्रियों को उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप ले जा रहा है, जबकि दूसरा सुरक्षा काफिला यात्रियों को दक्षिण कश्मीर के नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप ले जा रहा है.”
वार्षिक तीर्थयात्रा के मामलों का प्रबंधन करने वाले श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि जम्मू के ‘भगवती नगर यात्री निवास’ आने वाले यात्रियों के अलावा, कई यात्री मौके पर पंजीकरण के लिए सीधे बालटाल और नुनवान (पहलगाम) बेस कैंप में रिपोर्ट कर रहे हैं.
शनिवार को जम्मू संभाग के रामबन जिले के चंद्रकोट में घाटी जाने वाले यात्री काफिले में पांच वाहनों के आपस में टकरा जाने से 36 यात्री मामूली रूप से घायल हो गए.
अधिकारियों ने इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा को बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद ये पहली अमरनाथ यात्रा है. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 मासूम लोगों की हत्या कर दी थी.
सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत को बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की अतिरिक्त 180 कंपनियों को तैनात किया गया है.
दो बेस कैंपों के रास्ते में सभी ट्रांजिट कैंपों और जम्मू में ‘भगवती नगर यात्री निवास’ से गुफा मंदिर तक के पूरे मार्ग पर सुरक्षा बलों की पैनी नजर है. स्थानीय लोगों ने भी इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा में पूरा सहयोग दिया है, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया है.
पहलगाम आतंकी हमले से कश्मीरियों को गहरा सदमा पहुंचाने का एक शक्तिशाली संकेत देने के लिए, स्थानीय लोगों ने यात्रियों के पहले जत्थे का माला और तख्तियों के साथ स्वागत किया, जब तीर्थयात्री काजीगुंड में घाटी में प्रवेश करने के लिए नवयुग सुरंग को पार कर रहे थे.
3 जुलाई को शुरू हुई यात्रा 38 दिनों के बाद 9 अगस्त को समाप्त होगी.
यात्री कश्मीर हिमालय में समुद्र तल से 3888 मीटर ऊपर स्थित पवित्र गुफा मंदिर तक या तो पारंपरिक पहलगाम मार्ग से या छोटे बालटाल मार्ग से पहुंचते हैं.
पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए चंदनवारी, शेषनाग और पंचतरणी से गुजरना पड़ता है, जो पैदल 46 किमी की दूरी तय करता है. इस यात्रा में तीर्थयात्री को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं.
छोटे बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा करने के बाद उसी दिन बेस कैंप वापस लौटना पड़ता है. सुरक्षा कारणों से, इस वर्ष यात्रियों के लिए कोई हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं है.
गुफा मंदिर में एक बर्फ की संरचना है जो चंद्रमा के चरणों के साथ घटती-बढ़ती रहती है. भक्तों का मानना है कि बर्फ की संरचना भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है.
अमरनाथ यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे.
जब भगवान शिव शाश्वत रहस्य बता रहे थे, तब गलती से दो कबूतर गुफा के अंदर आ गए. कहते हैं, आज भी, वार्षिक यात्रा शुरू होने पर पहाड़ी कबूतरों का एक जोड़ा गुफा मंदिर से बाहर निकलता है.
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वीकेयू/केआर
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