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उत्तराखंड में योग नीति पर चर्चाओं का दौर जारी

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देहरादून, 10 नवंबर . उत्तराखंड में दिसंबर महीने में आयोजित होने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. संभावना जताई जा रही है कि इस सम्मेलन से पहले राज्य की पहली योग नीति लागू हो सकती है.

साल 2023 से ही आयुष विभाग प्रदेश के लिए योग नीति तैयार करने पर काम कर रहा है. विभाग इसका मसौदा तैयार कर शासन को प्रशिक्षण के लिए भेज चुका है. इस नीति में प्रदेश के भीतर योग से जुड़ी विधाओं को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है.

उत्तराखंड स्थित ऋषिकेश को योग की जननी माना जाता है. ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी का दर्जा दिया गया है. ऐसे में जहां एक ओर उत्तराखंड सरकार प्रदेश को आयुष हब के रूप में विकसित करना चाहती है. वहीं, योग नीति भी तैयार कर रही है, ताकि न सिर्फ इस क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके, बल्कि राज्य में योग केंद्रों को बढ़ावा भी दिया जा सके.

सरकार की सहमति मिलने और वित्त विभाग की मंजूरी के बाद योग नीति लागू कर दी जाएगी.

योग नीति तैयार करने के लिए विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हितधारकों से भी सुझाव मांगे थे. विभाग ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर वित्त विभाग को प्रस्ताव सौंप दिया था. लेकिन, वित्त विभाग ने नीति में किए गए कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए दोबारा प्रस्ताव मांगा था. संशोधन के साथ नया प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया गया है, जिस पर चर्चा चल रही है.

प्रस्तावित योग नीति में योग, प्राकृतिक चिकित्सा, अध्यात्म के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का सुझाव दिया गया है. इसके अलावा, राज्य में मौजूद सभी योग केंद्रों का पंजीकरण अनिवार्य होगा. केंद्र सरकार के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से योग कोर्स करने पर फीस की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था भी की जाएगी.

आयुष विभाग के अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि प्रदेश में योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. लिहाजा, योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए जो भी संस्थाएं काम कर रही हैं, उसमें एकरूपता लाने, योग के ट्रेनिंग को बेहतर करने के लिए योग नीति पर काम किया जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा, “प्रदेश के जो पर्यटन स्थल हैं, और जो नए पर्यटन स्थल विकसित हो रहे हैं. उसके आसपास योग और आयुर्वेद को भी विकसित किया जाए. इसके साथ ही वेलनेस के क्षेत्र में ही संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं. योग से संबंधित मानक को बेहतर करने, योग संबंधित शिक्षण संस्थानों में एकरूपता लाने, रोजगार के लिहाज से आम जनता को योग के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं को योग नीति में समाहित किया जाएगा.”

एसएचके/एकेजे

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