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अमेठी से रिश्ता खून का भले न हो, संघर्ष का है : स्मृति ईरानी

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अमेठी, 26 मई . पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर उत्तर प्रदेश के अमेठी पहुंचीं. उन्होंने कहा, “मेरा यहां से रिश्ता खून का भले न हो, लेकिन संघर्ष का है.”

इस सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार अमेठी पहुंचीं. वह 2024 में अपनी सीट बरकरार नहीं रख सकी थीं. इस दौरान उन्होंने गौरीगंज के रणंजय इंटर कॉलेज मैदान में रानी अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी स्मृति गोष्ठी और पंचायत प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित किया.

उन्होंने कहा, “अमेठी से मेरा रिश्ता खून का नहीं, संघर्ष और सम्मान का है.” उन्होंने जनसभा में इस जगह से अपने रिश्ते को लेकर कई बार बताया.

स्मृति ईरानी ने कहा, “मुझे इस मंच पर अतिथि बनाया गया. आज का यह दिन मेरे लिए विशेष केवल इसलिए नहीं है कि हम देवी अहिल्याबाई होल्कर को नमन करने एकत्र हुए हैं, बल्कि इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज ही के दिन साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधान सेवक’ के रूप में राष्ट्र सेवा की शपथ ली थी.”

उन्होंने कहा कि 2014 में पहली बार जब वह यहां आई थीं, तब उनके पास चुनाव लड़ने के लिए 22 दिन थे. उस दिन लोगों ने उन्हें दीदी बनाया था. अब 11 साल बाद “मुझे लोग पूर्व सांसद की दृष्टि से नहीं, बहन की दृष्टि से” देखते हैं.

उन्होंने कहा कि अमेठी में एके-203 राइफल फैक्ट्री, कोका-कोला प्लांट, सैनिक स्कूल, मेडिकल कॉलेज और औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हुई. पूर्व मंत्री ने कहा कि अमेठी आज बदल चुका है, यह फैक्ट्रियों और संभावनाओं की धरती बनी है.

उन्होंने पंचायत सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पंचायत लोकतंत्र की सबसे मजबूत कड़ी होती है. मोदी सरकार ने पंचायतों का बजट 70 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर ढाई लाख करोड़ रुपए कर दिया है.

उन्होंने कहा कि अमेठी का कार्यकर्ता संगठन के प्रति समर्पित है और यही संस्कार अमेठी की पहचान है. उन्होंने अमेठी के विकास और सम्मान के लिए हमेशा आगे रहने का आश्वासन दिया.

विकेटी/एबीएम/एकेजे

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